कृषि क्षेत्र में किसानों की उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए तमाम प्रयास किए जाते हैं, ताकि हमारे देश के किसान भाईयों की आय दोगुनी (Farmer Income) हो सके. इसी कड़ी में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Madhya Pradesh Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) द्वारा एक अहम फैसला लिया गया है. इससे कृषि क्षेत्र में किसानों की उद्यमिता को बढ़ाने के लिए प्राथमिकता दी जाएगी.
दरअसल, मध्यप्रदेश में किसानों के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण एवं कृषि विकास बैंक- नाबार्ड ने फसली ऋण पर 1 लाख 18 हजार 288 करोड़ रुपए देने का अनुमान लगाया है. इसके साथ ही कृषि सावधि ऋण पर 62 हजार 693 करोड़ रुपए देने का अनुमान लगाया गया है. वहीं, साल 2022-23 के लिए 2 लाख 42 हजार 967 करोड़ के कुल ऋण का अनुमान है. इसमें से लगभग 74 प्रतिशत कृषि क्षेत्र को दिया जाएगा.
आपको बता दें कि एमएसएमई के तहत 39 हजार 267 करोड़ एवं अन्य प्राथमिकता क्षेत्र निर्यात ऋण, शिक्षा, आवास, नवकरणीय ऊर्जा, अन्य और सामाजिक बुनियादी ढांचे पर 22 हजार 715 करोड़ रुपए का ऋण उपलब्ध हो पाएगा.
वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा द्वारा बताया गया है कि भारत सरकार की तरफ से अपने बजट में ग्रामीण अधोसंरचना के विकास के लिए आईआईडीएफ एवं माइक्रो इरीगेशन फंड में 10 हजार करोड़ रुपए और 5 हजार करोड़ रुपए की बढ़ोत्तरी की गई है. इस तरह मध्य प्रदेश में सिंचाई क्षेत्र को संबल मिल रहा है.
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उन्होंने आगे कहा कि राज्य सरकार का प्रमुख एजेंडा महिला सशक्तिकरण और महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को बढ़ावा देना है. इतना ही नहीं, उन्होंने कृषि विकास में नाबार्ड के सहयोग की सराहना की, साथ ही आशा व्यक्त की कि नाबार्ड की मदद प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के सपनों को साकार करने में मिलती रहेगी.
मध्य प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने में कृषि क्षेत्र की अहम भूमिका
वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने बताया कि राज्य सरकार का मुख्य लक्ष्य साल 2023 तक मध्य प्रदेश को आत्म-निर्भर बनाना है. इसके लिए राज्य के 100 प्रतिशत किसानों तक केसीसी कवरेज बढ़ाने, ग्रामीण बुनियादी ढांचे में निवेश और कृषि उत्पादक समूहों के वित्त पोषण पर प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया जा रहा है.