बाग़ और बगीचों की जब भी बात होती है, तो हमारे दिमाग में सबसे पहले तरह-तरह की फल और सब्जियां ही आती हैं. . परम्परागत तरीकों से हो रही खेती में अक्सर ये देखा गया है की बगीचों में किसानों द्वारा फल अधिक रूप में लगाया जाता है.
वहीं अब कुछ नया करने की चाह में किसान सदियों से हो रही खेती से अलग हटकर अब बाग-बगीचों में ओल, अदरक और हल्दी की भी खेती कर रहे हैं. इससे किसानों को दोगुना लाभ होने की संभावना जताई गयी है.
किसान फल के साथ ओल, अदरक व हल्दी की उपज कर आर्थिक स्थिति को बेहतर बना सकते हैं. इस तरह की खेती के लिए उद्यान विभाग किसानों की मदद के लिए आगे आया है. वहीं सरकार ने भी अपनी और से मदद करते हुए 50 प्रतिशत तक का अनुदान किसानों को देगी. जिसके लिए किसानों को आनलाइन आवेदन जमा करना होगा. आवदेन करने के बाद दिसंबर से अनुदान मिलना शुरू हो जाएगा. पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर किसानों को अनुदान मिलेगा.
आपको बता दें कि जिले में कुल दो सौ हेक्टेयर में हल्दी की खेती की जाएगी, जिसके तहत किसानों को दो सौ हेक्टेयर के लिए ही अनुदान मिलेगा.अनुदान के लिए कुछ शर्ते रखी गयी हैं. एक किसान को कम से कम 36 हेक्टेयर यानी 90 डिसमिल में खेती करनी होगी.
वहीं किसान को अधिकतम दो यूनिट का लाभ मिल सकता है. खेती में लागत की बात करें, तो एक यूनिट की खेती के लिए किसान को 22 हजार तीन सौ रुपये तक का लागत लग सकता है.
सरकार की ओर से किसान को 11 हजार 150 रुपये मिलेगा. वहीं 50 हेक्टेयर में ओल की खेती का लक्ष्य दिया गया है. एक किसान न्यूनतम 90 डिसमिल खेती कर सकते हैं. एक यूनिट की खेती के लिए किसानों को लागत मूल्य 82 हजार रुपये आएगा. 41 हजार रुपये किसान को सरकार की ओर से अनुदान मिलेगा. 30 हेक्टेयर में अदरक की खेती होगी. एक यूनिट की खेती के लिए किसान को 76 हजार रुपये लागत मूल्य आएगा. सरकार की ओर से 38 हजार रुपये अनुदान दिया जाएगा. एक किसान न्यूनतम 90 डिसमल खेती कर सकते हैं.
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बगीचों में 60 प्रतिशत जमीन रहती है खाली
आम और लीची की खेती कुछ इस तरह से की जाती है की बगीचों का लगभग 60% जमीनें खाली ही रह जाती है. इस वजह से किसानों को जमीन के हिसाब से मुनाफा नहीं मिल पाता. आम-लीची के बगीचों में 40 प्रतिशत भूमि पर ही पेड़ लगे होते हैं. शेष 60 प्रतिशत जमीन खाली रहती है. ऐसे में खाली पड़ी जमीन पर ओल, अदरक और हल्दी की खेती किसानों को मुनाफ़ा दिला सकती है
इन फसलों को धूप की ज्यादा जरुरत नहीं होती. इन फसलों को अगर कम धुप भी मिले तो भी उत्पादन पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है. अंर्तवर्ती फसल योजना 12 जिलों में लागू किया गया है, जिसमें भागलपुर भी है.