किसानों को मिलने वाली मुआवजा राशि को लेकर उत्तराखंड सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक बार फिर से किसानों के साथ खड़े होकर सरकार से उनको मिलने वाली राहत राशि को बढ़ाने की मांग की है. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत ने देहरादून में किसानों के साथ मुख्यमंत्री आवास के बाहर आपदा प्रभावित किसानों के लिए मुआवजा राशि बढ़ाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने कहा, "1100 रुपए बीघा गन्ने का मुआवजा मुख्यमंत्री दे रहे हैं, ये किसानों का अपमान है. 2014 में 8,000 रुपए मुआवजा मिला था, अब 10,000 रुपए मुआवजा मिलना चाहिए."
बाढ़ प्रभावित किसानों के साथ विपक्षी दल
आपको बता दें कि उत्तराखंड में कई जिलों में बहुत से इलाकों में बाढ़ को लेकर हर साल बहुत से किसानों की फसलों को नुकसान होता है. जिसको लेकर सरकार हर साल किसानों की हर संभव मदद का प्रयास करती है. किसानों को मिलने वाली इस धनराशि को लेकर उत्तरखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेसी नेता हरीश रावत ने विरोध प्रदर्शन किया.
पहले कितना मिला मुआवजा
इस बार उत्तराखंड में सबसे ज्यादा गन्ना किसान बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. जिसको लेकर सरकार ने मुआवजे की घोषणा की थी. जानकारी के लिए आपको बता दें कि वर्ष 2014 में उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार ने किसानों को 8000 रुपये प्रतिबीघा के अनुसार मुआवजे की भरपाई की थी. वर्तमान में उत्तराखंड में पुष्कर धामी की सरकार है और उन्होंने इस मुआवजा राशि को कम करके 1100 रुपये प्रति बीघा कर दिया है. जिसको लेकर किसानों में आक्रोश है. वहीं विपक्षी पार्टी के नेता हरीश रावत भी किसानों की इस समस्या के साथ मुख्यमंत्री आवास के सामने धरने पर हैं. उनके अनुसार बढ़ती महंगाई और किसानों के नुकसान की भरपाई को देखते हुए सरकार को या धनराशि 8000 से बढ़ाकर 11000 करनी चाहिए, जबकि सरकार किसानों के साथ धोखा करते हुए इस राशि में कमी कर रही है.
सरकार ने दिया आश्वासन
किसानों के विरोध प्रदर्शन के चलते मुख्यमंत्री ने किसानों को आश्वाशन दिया है साथ ही जल्द बैठक कर मामले की जांच के बाद मुआवजे की धनराशी को बढ़ाने को लेकर कोई अन्य कदम उठाएगी. लेकिन वहीं विपक्षी दल के नेता ने सरकार के इस आश्वासन को केवल धोखा बताया है.
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पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि सरकार केवल किसानों का अपमान कर रही है. वह किसानों का साथ देने की जगह उनके साथ धोखा कर रही है. सरकार को इस धनराशी को बढ़ाकर किसानों की इस संकट के समय उनकी मदद करनी चाहिए.