उत्तर भारत में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से किसानों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है. इसी दौरान केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने किसानों को एक राहत दी है. दरअसल, जिन किसानों की फसलें मौसम या आपदाओं की वजह से बर्बाद हुई हैं, उनका आकलन उपग्रह द्वारा किया जाएगा. इससे किसानों को फसल बीमा योजना का लाभ मिल पाएगा, साथ ही फसल के मुआवजे में पारदर्शिता आएगी. ऐसे में किसानों को आशा है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana) लाभकारी साबित होगी.
किसानों को अधिक लाभ (More benefit to farmers)
अगर इस तकनीक से किसानों की फसल के नुकसान का आकलन होगा, तो उसमें किसानों को शिकायत करने का मौका नहीं मिलेगा. अगर पटवारी आकलन में गड़बड़ी करता है या फिर खेतों को शामिल नहीं करता है, तो इसकी रिपोर्ट भी जल्द से जल्द सरकार तक पहुंच जाएगी. इस तकनीक के द्वारा किसानों को समय पर मुआवजा मिल पाएगा. ध्यान दें कि इस तकनीक पर पायलट प्रोजेक्ट के तहत काम किया जाएगा. बता दें कि देश के 10 राज्यों के करीब 96 जिलों में इसकी शुरुआत भी हो चुकी है.
कृषि राज्य मंत्री के मुताबिक...
कैलाश चौधरी का कहना है कि कई किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर शिकायतें करते हैं. उनका कहना है कि उनपर फसल बीमा थोपी जाती है. ऐसे में सरकार ने इस योजना में कई बदलाव कर दिए. सबसे बड़ा और खास बदलाव है कि इस योजना को स्वैच्छिक बना दिया है. अब जो किसान फसल बीमा नहीं लेना चाहते हैं, वे अपने बैंक को एक पत्र में बीमा नहीं लेने की बात लिख दें. इस तरह उनके खाते से फसल बीमा का प्रीमियम नहीं काटा जाएगा.
फसल बीमा में कई बड़े बदलाव (Many major changes in fasal bima yojana)
अब बीमा कंपनियों को एक साल की जगह कम से कम तीन साल के लिए टेंडर भरना होगा. इस तरह किसानों की समस्या का समाधान हो पाएगा. इसके अलावा फसल बीमा की प्रीमियम में किसानों के अंशदान में कोई परिवर्तन नहीं होगा. इसके साथ ही किसानों को खरीफ फसलों पर 2 प्रतिशत, रबी फसलों पर 1.5 प्रतिशत ही प्रीमियम भरना पड़ेगा.
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