उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में डीएपी की कमी किसानों को परेशान कर रही है. राज्यों के कई जिलों में रबी सीजन के लिए गेहूं की बुवाई हेतू खेत तैयार हैं. लेकिन समय से डीएपी और उर्वरक न मिलने की वजह से किसान फसल की बुवाई नहीं कर पा रहे हैं. वहीं कुछ सक्षम किसान निजि दुकानों से मजबूरन महंगे दामों पर डीएपी खरीदकर बुवाई कर रहे हैं.
एक बोरी डीएपी के लिए किसान दिन निकलते ही इफ्को केंद्रों और साधन सहकारी समितियों पर पहुंच जाते हैं. दिन भर लंबी-लंबी लाइनों में खड़े रहते हैं. शाम होते-होते जब किसान का डीएपी लेने के लिए नंबर आता है तब तक समिति संचालक स्टॉक खत्म होने का हवाला दे देते हैं. इससे किसानों को मायूस होकर समितियों से खाली हाथ वापस लौटना पड़ता है.
राज्य के किसानों का कहना है कि उन्होंने आलू गुड़ाई का काम तो जैसे-तैसे कर लिया, लेकिन डीएपी न मिलने की वजह से वे गेहूं की बुवाई कैसे करेंगे. बुवाई का सही समय चल रहा है. कुछ दिनों बाद जब पाला पड़ने लगेगा तो बुवाई और फसल वृद्धि प्रभावित होगी.
राज्य के बदायूं जिले के किसानों की मानें तो इस बार 22 हजार हेक्टेयर में आलू की गुड़ाई की गई है. जिले 2.50 लाख हेक्टेयर पर गेहूं की बुवाई की तैयारी चल रही है. गेहूं बुवाई का लक्ष्य कृषि विभाग द्वारा तय किया गया है. हालांकि गेहूं की बुवाई में डीएपी की किल्लत आ रही है.
राज्य में धान, बाजरा की फसल से खेत खाली हो चुके हैं. इसलिए किसान अगहती बुवाई करने के मूड में हैं. किसानों का कहना है कि अगर डीएपी समय से मिल जाए तो बिना किसी देरी के गेहूं की बुवाई कर देंगे.
बदायूं जिले के एक इफ्को केंद्र पर डीएपी लेने पहुंचे किसान पिंटू सक्सेना, सौदान सिंह, छम्मन खां ने कहा है कि वे कई दिनों से इफ्को केंद्र के चक्कर काट रहे हैं लेकिन उन्हें डीएपी नहीं मिल पा रही है. गेंहू बुवाई के लिए खेत पर तैयारियां पूरी कर ली हैं.
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मध्य प्रदेश में भी यही हाल है किसानों का कहना है कि इफ्को केंद्रों और साधन सहकारी समितियों पर डीएपी न मिलने से वे सरसों की बुवाई नहीं कर पा रहे. सारा दिन इंतजार करने के बाद संचालक स्टॉन न होने का हवाला दे देते हैं. खाद न मिलने से किसान निराश लौट रहे हैं. वहीं, कुछ सक्षम किसान निजि दुकानों से मजबूरन महंगे दामों पर डीएपी खरीदकर बुवाई कर रहे हैं.