ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के दौरान लोग सबसे ज्यादा परेशानी आरटीओ (RTO) जाकर ड्राइविंग टेस्ट देने में महसूस करते हैं. ऐसे में अब सरकार ने ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने वालों को बड़ी राहत दी है. अब आरटीओ कार्यालय जाकर आपको ड्राइविंग टेस्ट देने कीआवश्यकता नहीं होगी. रोड एंड ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री ने ड्राइविंग लाइसेंस के लिए नए नियम को नोटिफाई किया है कि अब सरकारी मान्यता प्राप्त ड्राइविंग स्कूल में टेस्ट देकर ही लाइसेंस मिल जाएगा.
सरकार के इस नए आदेश के मुताबिक, यदि आप मान्यता प्राप्त ड्राइविंग स्कूल से प्रशिक्षण ले रहे हैं तो आप यहीं टेस्ट देकर लाइसेंस ले सकते हैं. वहीं ट्रेनिंग के दौरान जो उम्मीदवार पाठ्यक्रम में उत्तीर्ण हो जाएंगे उन्हें बिना टेस्ट दिए ही ड्राइविंग लाइसेंस मिल जाएगा. साथ ही मिनिस्ट्री का कहना हैं कि इन मान्यता प्राप्त विद्यालयों में ड्राइविंग ट्रेनिंग की विभिन्न सुविधाएं मौजूद होगी. यहां अभ्यर्थियों को उच्च गुणवत्ता प्रशिक्षण के लिए ड्राइविंग परीक्षण ट्रैक की सुविधा दी जाएगी. जो अभ्यर्थियों को ड्राइविंग सीखने में बेहद मददगार होगा.
दो प्रकार के कोर्स
रोड एंड ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री के मुताबिक, अभ्यर्थियों को इन सेंटर्स पर मोटर व्हीकल एक्ट-1988 के तहत दो प्रकार कोर्स की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी. यह कोर्स है 'रेमिडियल' और 'रिफ्रेशर'. मिनिस्ट्री का कहना हैं कि ये नियम 1 जुलाई, 2021 से लागू हो जाएंगे. यह जानकारी इन पाठ्यक्रमों में हिस्सा लेने वाले अभ्यर्थियों को जल्द दी जाएगी. वहीं जो अभ्यर्थी इन पाठ्यक्रमों की परीक्षा को उत्तीर्ण कर लेगा उन्हें आरटीओ जाकर ड्राइविंग टेस्ट देने की जरूरत नहीं होगी तथा ड्राइविंग लायसेंस मिल जाएगा.
कितने घंटों की होगी ट्रेनिंग
मंत्रालय का कहना हैं कि मान्यता प्राप्त ट्रेनिंग सेंटर्स को ड्राइविंग पाठयक्रम कराने के लिए पांच साल तक की मान्यता दी जाएगी. इन सेंटर्स पर हल्के वाहन के लिए चार सप्ताह में 29 घंटे और मध्यम तथा भारी वाहन के लिए छह सप्ताह में 38 घंटे की समय अवधि होगी. वहीं पाठ्यक्रम को दो श्रेणियों 'सिद्धांत और प्रायोगिक' में बांटा गया है.
बेहतर व्यवहार का प्रशिक्षण
इन सेंटर्स की सबसे खास बात यह होगी कि अभ्यर्थियों को वाहन चलाने के दौरान बेहतर व्यवहार और अनुशासन रखने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा. इंडियन फाउंडेशन आफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड ट्रेनिक के समन्वयन एसपी सिंह ने इन नये नियमों को स्वागत किया है. साथ ही उन्होंने कहा कि इन नए नियमों में न्यूनतम शैक्षिणिक योग्यता को छोड़ दिया गया है. जो पहले 8वीं पास थी. उन्होंने कहा कि आज देश में बड़ी संख्या में बेरोजगार है. ऐसे में चालकों के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 12वीं कर देना चाहिए. इससे कुशल और प्रशिक्षित चालकों की कमी को दूर किया जा सकेगा.