जब किसान अपने खेतों में फसलों की खेती करते हैं, उस दौरान सबसे ज्य़ादा महत्वपूर्ण प्रक्रिया बीजों के परीक्षण की होती है. अगर फसल के बीज की जांच न की जाए, तो इससे खेती के दौरान कई तरह की समस्याएं आती हैं, जिसका सीधा प्रभाव फसल की उपज पर पड़ता है.
सभी जानते हैं कि देश के लगभग सभी भागों में कई फल, सब्जी, तिलहन और दलहन की खेती होती है. इसमें हिमाचल प्रदेश का नाम भी आता है. यहां किसानों को फसलों की खेती करते समय कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इस कड़ी में हिमाचल के किसानों के लिए एक खुशखबरी है.
कृषि बीजों के लिए डीएनए टेस्ट प्रयोगशालाएं
हिमाचल के 10 जिलों में कृषि बीजों की डीएनए टेस्ट प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी. यह सुविधा जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति और किन्नौर को छोड़ कर अन्य सभी जिलों में उपलब्ध होगी. इसके जरिए उत्पादित कृषि बीजों के डीएनए की जांच होगी, साथ ही गुणवत्ता का पता लगाया जाएगा. इसके बाद बीजों के पेटेंट कराने में प्रयोगशालाएं सहायता करेंगे. बता दें कि अभी तक प्रदेश में कृषि विभाग के पास फसलों के डीएनए जांचने के लिए कोई प्रयोगशाला नहीं है.
डीएनए टेस्ट प्रयोगशाला से फायदा
अक्सर किसान बीजों की गुणवत्ता को देखते हुए शिकायत करते हैं, इसलिए प्रदेश सरकार बीजों के डीएनए की जांच करने के लिए प्रयोगशालाएं बना रही है. बताया जा रहा है कि इन प्रयोगशालाओं की मदद से किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराए जाएंगे.
लैब जांच से पता चलेगा बीजों का डीएनए
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डीएनए लैब में बीज उपलब्ध कराने से पहले जीन और गुणवत्ता का पता लगाया जाएगा.
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बीज कहीं दूसरी बीज से क्रास तो नहीं किया है, इसका पता लगाया जाएगा.
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गेहूं, मक्का, धान और जौ आदि के बीजों की जांच होगी.
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इन प्रयोगशालाओं में फलों के बीजों का डीएनए भी जांचा जाएगा.
नए बीजों का पेटेंट कराने में मदद
नए बीजों का पेटेंट कराने में भी लैब मदद करेंगी. इसके साथ ही गुणवत्ता पर भी नजर रखेगी और नए बीजों के डीएनए को सुरक्षित रखेगी.