सेब दुनियाभर में सबसे अधिक खाया जाने वाला फल है. अपने बेहतरीन गुणों के कारण इसे जादुई फल भी कहा जाता है. इसमें पर्याप्त मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट और और बीमारियों से लड़ने वाले तत्व पाए जाते हैं. सेब में कुछ ऐसे भी तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर में नई कोशिकाओं के निर्माण को प्रोत्साहित करते हैं.
लोग सेब का अलग – अलग तरीके से सेवन करते हैं. कोई सेब के फल को काट कर खाता है तो कोई सेब का सेवन जूस के रूप में सेवन करता है. इसी कड़ी में हम सेब के जूस से जुड़ी एक अहम जानकारी देते हैं.
सेब के अवशेष (Remnants Of Apple )
सेब का जूस (Apple Juice ) निकालने के बाद बचे हुए अवशेष जिसे (पोमेस) नाम से जाना जाता है. अक्सर लोग उसे बेकार समझ कर फेंक देते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं ये अवशेष भी आपके लिए कितना किफायती है. अगर नहीं? तो आज हम आपको इस बात की जानकारी देने जा रहे हैं.
दरअसल, हिमाचल प्रदेश की हेल्थ स्पेशलिस्ट का कहना है कि सेब में फ्लेवोनोइडस, फाइबर, पेक्टिन, चीनी, एंटीऑक्सीडेंट और अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो सेहत के लिए बहुत लाभदायी माने जाते हैं. इसलिए सेव के अवशेष से ब्रेड, केक सहित विभिन्न खाद्य वस्तुओं को बनाया जा सकेगा. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि एपल पोमेस से इथेनॉल, सिरका, पशु चारा, ईंधन सामग्री और खाद के लिए उपयोग करने के लिए सीमित प्रयास किए गए हैं.
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उनका कहना है कि आमतौर पर इसे कारखाने के आस-पास फेंक दिया जाता है, जो पर्यावरण प्रदूषण के लिए बहुत हानिकारक होता है.
इस मामले में अकेले हिमाचल प्रदेश में हर वर्ष 20 हजार मीट्रिक टन से अधिक सेब का प्रसंस्करण किया जाता है. अभी तक वाणिज्यिक उद्योग स्थापित नहीं किया है. इससे सेब के बचे हुए अवशेष को को मूल्य वर्धित उत्पादों में बदला जा सकेगा और लोगों के लिए भी यह आय का अच्छा जरिया भी साबित होगा.