आगामी बजट पेश होने में अब महज चंद घंटे बाकी है. जैसे-जैसे बजट पेश होने का समय नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे देशवासियों और ख़ासकर किसानों की धड़कनें बढ़ती जा रही हैं. ऐसे में अब देखना ये है कि बजट 2022 को लेकर जो उमीदें सरकार से लगाई गयी हैं, उसे सरकार किस हद तक पूरा करती है.
अगर कृषि क्षेत्र की बात करें, तो पीएम किसान सम्मान निधि योजना से लेकर मनरेगा तक में किसानों और मजदूरों के फ़ायदे को लेकर कई बातें सामने आई हैं. किसानों की आय दुगुनी हो सके, इसको लेकर सरकार भी एक अर्शे से प्रयास करती नजर आ रही है. इसी कड़ी में कृषि जागरण द्वारा बजट 2022 को लेकर एक खास वेबिनार आयोजित किया जा रहा है. इस वेबिनार में कई विशेषज्ञ शमिल होंगे, जो बजट 2022 को लेकर अपने विचार व्यक्त करेंगे.
बता दें कि इस वेबिनार में कृषि जागरण के मंच से आम जनता और किसानों को सरकार द्वारा पेश की गयी बजट पर चर्चा करें. इसी क्रम में आज हमारे साथ उपस्थित होंगे पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित प्रगतिशील किसान सुल्तान सिंह, आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ विजय सरदाना, डॉ. आर सी श्रीवास्तव, कुलपति, डॉ.राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय.
डॉ. समर सिंह, कुलपति, महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय. प्रोफेसर साकेत कुशवाहा, कृषि अर्थशास्त्री, कुलपति, राजीव गांधी विश्वविद्यालय. डॉ. बी दयाकर राव, कृषि अर्थशास्त्री, प्रधान वैज्ञानिक. डॉ. सिमरित कौर, प्राचार्य, श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स. श्री अरविंद कपूर, प्रबंध निदेशक, एक्सन हाइवेग पी लिमिटेड. श्री राजू कपूर, निदेशक- कॉर्पोरेट मामले, एफएमसी निगम. श्री एस पी शर्मा, मुख्य अर्थशास्त्री, पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री. श्री कल्याण गोस्वामी, महानिदेशक, एग्रो केम फेडरेशन ऑफ इंडिया.
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डॉ.आर.के त्रिवेदी, कार्यकारी निदेशक, नेशनल सीड एसोसिएशन ऑफ इंडिया. श्री रजत धर, निदेशक, भारतीय निवेशक संघ. श्री सी एस सी शेखर, प्रोफेसर, आर्थिक विकास संस्थान. श्री शुभम जी डूंगरवाल, संस्थापक, जीफ्रेश एग्रोटेक. श्री नारायण लाल गुजर, संस्थापक, ईएफ पॉलिमर प्राइवेट लिमिटेड के साथ अन्य एक्सपर्ट्स भी शामिल होंगे. यह सभी बजट को लेकर अपनी प्रतिक्रिया जनता के समक्ष रखेंगे और बजट से किसानों को कितना लाभ या नुकसान हुआ, इस पर भी चर्चा करेंगे.
हम सभी जानते हैं कि किसानों को बजट 2022 को लेकर सरकार से बड़ी उम्मीदें हैं. वहीँ, इस बार यह भी उम्मीदें लगाई जा रही हैं कि जो कृषि बजट पहले 16 लाख करोड़ था, उसे इस बार सरकार बढ़ाकर 18 लाख करोड़ कर सकती है. ऐसे में अब देखना ये है कि सरकार किसकी झोली में कितनी खुशियाँ डालती है और किसकी उम्मीदों पर पानी फिरता है.