Sweetest mango in the world: बिहार के पश्चिम चंपारण जिले का बगहा इलाका अब न केवल धान और गन्ने की खेती के लिए मशहूर होगा, बल्कि यहां उगाए गए दुनिया के सबसे मीठे आम के लिए भी जाना जाएगा. बगहा में एक प्रगतिशील किसान ने अपनी मेहनत और लगन से ऐसा आम तैयार किया है जिसकी मिठास ने सबको चौंका दिया है. यह आम न केवल स्वाद में लाजवाब है, बल्कि इसकी मिठास का स्तर 32 प्रतिशत Brix यूनिट मापा गया है, जो कि आम तौर पर अच्छे आमों में 20 से 25 प्रतिशत तक होता है. यह स्तर इसे दुनिया का सबसे मीठा आम बनाता है.
किसान विजय गुप्ता की अनूठी पहल
यह कमाल किया है बगहा के रहने वाले किसान विजय गुप्ता ने, जिन्होंने थाईलैंड की प्रसिद्ध आम किस्म 'नम डोक मैई' की कलम को भारत में अनुकूल तरीके से विकसित किया. उन्होंने बताया कि यह किस्म आम तौर पर दक्षिण एशियाई देशों में ही उगाई जाती है, लेकिन अब यह बिहार की भूमि में भी फल-फूल रही है. खबरों के अनुसार, थाईलैंड का ब्लैक कस्तूरी आम अपनी जामुनी चमक और मिश्री जैसी मिठास के लिए जाना जाता है. इसके पत्ते और मंजर काले होते हैं, जिससे इसे पहचानना आसान होता है. यह आम डायबिटीज मरीजों के लिए लाभकारी माना जाता है. भारतीय बाजार में इसकी कीमत 600 से 700 रुपये प्रति किलो तक होती है. वहीं, जापान का मियाजाकी आम गहरे लाल और जामुनी रंग वाला दुनिया का सबसे महंगा आम है, जिसकी कीमत ढाई लाख रुपये प्रति किलो तक पहुंचती है.
तीन एकड़ में लीची और दो एकड़ में आम का बाग भी लगाकर सालाना पांच लाख रुपये तक की आय कर रहे हैं। आम का उत्पादन करने के साथ-साथ वे इसकी कलम (पौधे) भी तैयार करते हैं, जिससे उन्हें अतिरिक्त आमदनी होती है।
खबरों के अनुसार, यह आम आकार में थोड़ा छोटा लेकिन स्वाद में बेहद मीठा और खुशबूदार होता है. एक पेड़ से लगभग 600 से 700 फल मिलते हैं और यह आम मार्च से मई तक फल देता है. इसकी खास बात यह है कि यह आम काटने के कई दिनों बाद तक भी खराब नहीं होता.
नर्सरी में भी तैयार हो रहे पौधे
खबरों के अनुसार, अब किसान विजय गुप्ता इस किस्म के आम के पौधे भी नर्सरी में तैयार कर रहे हैं, ताकि अन्य किसान भी इसका लाभ उठा सकें. उन्होंने बताया कि इसके लिए उन्हें राज्य कृषि विभाग से भी सहयोग मिल रहा है. उनकी योजना है कि इस आम को अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाया जाए, जिससे बिहार के किसानों को नई पहचान और बेहतर आय मिल सके.
क्या कहते हैं कृषि विशेषज्ञ
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि इस आम की खेती को सही तकनीक और वैज्ञानिक तरीके से बढ़ावा दिया जाए, तो यह न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी बिहार को आम उत्पादन के क्षेत्र में एक नई ऊंचाई तक ले जा सकता है.