आखिरकार वह घड़ी आ ही गई है, जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का भूमि पूजन कर रहे हैं. खास बात यह है कि इस दौरान श्रीराम जन्मभूमि परिसर में पारिजात का पौधा भी लगाया गया है. शायद बहुत कम लोगों को इस पौधे की जानकारी होगी. आइए आपको बताते हैं कि आखिर पारिजात का पौधा क्या है, इस पौधे का महत्व और खासियत क्या है, जो इसे भूमि पूजन समारोह का हिस्सा बनाया गया है.
पारिजात पेड़ की खासियत
यह पेड़ बहुत खूबसूरत होता है. इसके फूल का प्रयोग भगवान हरि के श्रृंगार और पूजन में किया जाता है, इसलिए इसे हरसिंगार के नाम से भी जाना जाता है. इसके फूल बहुत मनमोहक और सुगंधित होते हैं. हिन्दू धर्म में इस वृक्ष का बहुत महत्व है. कहा जाता है कि पारिजात को छूने मात्र से ही व्यक्ति की थकान मिट जाती है. इसकी ऊंचाई 10 से 25 फीट तक की होती है. इसकी एक खास बात है कि इस पेड़ में बहुत बड़ी मात्रा में फूल उगते हैं. आप एक दिन में इसके कितने भी फूल तोड़ लें, दूसरे दिन फिर बड़ी मात्रा में फूल खिल जाते हैं. खासतौर पर यह पेड़ मध्य भारत और हिमालय की नीची तराइयों में उगता है.
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रात में खिलते हैं फूल
इस पेड़ पर रात में फूल खिलते हैं और सुबह होते ही सारे फूल झड़ जाते हैं, इसलिए इसे रात की रानी भी कहा जाता है. बता दें कि यह फूल पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प भी कहा जाता है. दुनियाभर में इसकी सिर्फ 5 प्रजातियां पाई जाती हैं. कहा जाता है कि धन की देवी लक्ष्मी को पारिजात के फूल बहुत प्रिय हैं, इसलिए मां लक्ष्मी की पूजा-पाठ के दौरान ये फूल चढ़ाए जाते हैं. इसके अलावा यह भी मान्यता है कि सीता माता 14 साल के वनवास के दौरान इन्हीं फूलों से अपना श्रृंगार करती थीं. इतना ही नहीं, बाराबंकी जिले के पारिजात का वृक्ष को महाभारतकालीन माना जाता है, जो कि लगभग 45 फीट ऊंचा है.
खास बात है कि इसकी छाया में बैठने से ही सारी थकावट मिट जाती है. यह बहुत औषधीय गुणों वाला पेड़ माना जाता है. इसके एक बीजों का सेवन बवासीर रोग को सही करता है, तो वहीं हृदय के लिए भी लाभकारी माना गया है. अगर इसके फूलों के रस के सेवन किया जाए, तो हृदय रोग से बचा जा सकता है. अगर पारिजात की पत्तियों को पीस कर शहद में मिलाकर खाया जाए, तो सूखी खांसी भी सही हो जाती है. इसके अलावा त्वचा संबंधित रोग भी सही होता हैं.