हरियाणा में धान की फसल पककर तैयार हो गई है और मंडियों में फसल आने से पहले ही राज्य सरकार के ई- नाम पोर्टल के माध्यम से धान खरीद के फैसले का विरोध होने लगा है. एक तरफ आढ़तियों ने हड़ताल का ऐलान कर दिया, तो दूसरी तरफ सरकार का कहना है कि हम किसानों के साथ हैं और हर हाल में इस बार ई- नाम पोर्टल के माध्यम से ही धान की खरीद की जाएगी. लेकिन रस्साकशी के खेल ने किसानों की चिंताओं को बढ़ा दिया है.
किसानों का कहना है कि एक तरफ अभी सरकारी खरीद शुरू नहीं हुई है, दूसरी ओर यदि आढ़ती भी फसल नहीं खरीदेगें, तो हमारे लिए परेशानी बढ़नी तय है.
दरअसल, हरियाणा सरकार ने इस बार धान के सीजन की उन फसलों की खरीद भी ई-नाम पोर्टल के माध्यम से तय करना सुनिश्चत किया है, जिन फसलों का एमएसपी तय नहीं है. इनमें धान की बासमती किस्म के साथ बागवानी और दालें भी शामिल हैं. इन सभी फसलों की खरीद के लिए गेट पास भी मैनुवली के बजाय ई-नेम पोर्टल से ही काटा जाएगा. इसके अलावा मंडी में धान की खरीद भी ई-ऑक्शन के माध्यम से की जाएगी. नियमों के अनुसार अगर कोई भी मिलर्स बिना ई-ऑक्शन के खरीद करते पाया गया तो उस पर कार्रवाई की जाएगी.
ये भी पढ़ें: गेहूं की HI-8663 किस्म देगी 90 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार, जानें क्या है इसकी खासियत
हरियाणा आढ़ती एसोसिशन के चेयरमैन का बयान
हरियाणा आढ़ती एसोसिशन के चेयरमैन रजनीश चौधरी का कहना है कि सरकार ई-ऑक्शन के माध्यम से आढ़तियों और किसानों का अधिकारों का हनन कर रही है. ई-नाम पोर्टल के माध्यम से खरीद की प्रक्रिया काफी लंबी है. जिससे किसानों को समय पर उनका पैसा नहीं मिल पाएगा.
किसानों को क्या हो सकती है दिक्कत
हरियाणा में धान की फसल लगभग पककर तैयार हो चुकी है और अगेती किस्में तो मंडियों में भी पहुंचने लगी हैं, लेकिन सरकारी खरीद शुरु न होना और आढ़तियों का हड़ताल पर जाना किसानों के लिए एक चिंता का विषय है. आने वाले समय में पता चलेगा कि यह फैसला किस मोड़ पर पहुंचता है.