दवाइयों से लेकर खाने के प्रोडक्ट तक में कई जगह शहद का इस्तेमाल होता है. मधुमक्खी पालन से कृषि और बागवानी को भी बढ़ावा मिलता है. मौजूदा वक्त में कई राज्यों के किसान परंपरागत खेती छोड़कर मधुमक्खी पालन में अपनी किस्मत आज़मा अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.
मधुमक्खी पालन के बिज़नेस को मौन पालन बिजनेस भी कहते हैं. आपको जानकर बेहद ख़ुशी होगी कि इस तरह की बिज़नेस को शुरू करने और बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार भी हर संभव मदद कर रही है.
वहीं 4 अक्टूबर को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने असम के कामरूप जिले के मिर्जा कस्बे में शहद प्रसंस्करण इकाई का उद्घाटन किया और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, बढ़ावा देने और किसानों की आय को दुगुनी करने के संबद्ध में कृषि गतिविधियों के विकास पर जोर दिया. ताकि नई तकनीकों कि मदद से किसानों को किसी तरह की कोई दिक्कत न हो.
मधुमक्खी पालन एक कम-निवेश व्यवसाय उद्यम भी है जो भाग लेने वाले सदस्यों को सीधे आर्थिक लाभ प्रदान करता है और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले समुदायों के लिए मुख्य आर्थिक गतिविधि अर्थात कृषि के साथ एकरूप हो गया है.
सभी कर रहे इसका अभ्यास
इसके फायदे भी कई हैं इसका अभ्यास पुरुषों, महिलाओं और युवाओं द्वारा किया जा सकता है और यह गरीबी हटाने और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. उपरोक्त और कई अन्य संभावित लाभों के बावजूद यह महसूस किया गया है कि यह क्षेत्र काफी हद तक अविकसित है. इसका कारण यह है कि मधुमक्खी पालन अभी भी एक स्थानीय गतिविधि के रूप में किया जाता है, जो ज्यादातर पीढ़ी दर पीढ़ी से चला आ रहा है. इस तरह मधुमक्खी पालन करने वाले किसानों ने एक वाणिज्यिक उद्यम और आय सृजित करने के रूप में इसकी क्षमता और मूल्य की पूरी तरह से सराहना नहीं की है.
राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनबीएचएम) द्वारा राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन बोर्ड (एनबीबी) और साल्ट रेंज फूड्स प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से इस स्वचालित शहद प्रसंस्करण इकाई की स्थापना की गई है. इस विषय पर और जानकारी देते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दे रही है, और इसके लिए 500 करोड़ रुपये का बजट भी तय किया गया है. इसका उत्पादन को बढ़ाने में इसका उपयोग किया जाएगा.
सरकार चाहती है कि मधुमक्खी पालकों को उनके उत्पादों के लिए भारत के साथ-साथ विदेशों में अच्छा बाजार मिले. जिसे देख हमारे किसानों और मधुमक्खी पालकों को एक हौसला और सकारात्मक ऊर्जा मिलती रहे. यही चीज़ उन्हें और भी अच्छा करने के लिए प्रोत्साहित करता है. एक सरकारी बयान में तोमर के हवाले से कहा गया है कि इसके लिए गुजरात के आणंद में मधुमक्खी पालकों के हित में एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित की गई है.
इतना ही नहीं लगभग 13 उपग्रह परीक्षण प्रयोगशालाओं को भी मंजूरी दे दी गई है. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में कुल मिलाकर देशभर में ऐसी 100 प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी. कृषि मंत्री के बयान के मुताबिक देश में 86 प्रतिशत छोटे किसानों के लिए मधुमक्खी पालन एक बेहतर रोजगार का अवसर हो सकता है, क्योंकि उनमें से कुछ के पास बहुत कम जमीन है और कुछ के पास बिल्कुल भी जमीन नहीं है और वे मजदूर के रूप में काम करते हैं.
इतना ही नहीं अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं सरकार लागू करने जा रही है. कृषि के साथ-साथ मधुमक्खी पालन जैसी संबद्ध कृषि गतिविधियों को विकसित करना महत्वपूर्ण है, ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हो, रोजगार के अवसर पैदा हों और किसान बेहतर आय अर्जित कर सकें.