शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय एक कृषि विश्वविद्यालय है जो जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में स्थित है. शालीमार, श्रीनगर में अपने मुख्य परिसर के साथ, विश्वविद्यालय के पास कश्मीर घाटी और राज्य के लद्दाख क्षेत्रों में कई परिसर, कॉलेज, अनुसंधान और विस्तार केंद्र हैं. इसकी स्थापना 1982 में जम्मू और कश्मीर राज्य विधानमंडल द्वारा पारित एक अधिनियम द्वारा की गई थी.
अपने अलग-अलग अनुसन्धान और नए प्रयोगों के कारन काफी चर्चित है. हाल ही में बासमती का पहला अनुसन्धान केंद्र कश्मीर में बनने जा रहा है. जिसको लेकर जगह का भी चयन किया जा चुका है.
शेर-ए-कश्मीर कृषि, विज्ञान और तकनीक विश्वविद्यालय जम्मू सात अक्टूबर, 2021 से पांच दिवसीय उत्तरी भारत क्षेत्रीय कृषि मेले आयोजित करने जा रहा है. विश्वविद्यालय के मुख्य कैंपस चट्ठा में आयोजित होने वाले कृषि मेले का उद्घाटन उपराज्यपाल मनोज सिन्हा करेंगे.
मेले का पहला और दूसरा दिन किसानों की नवीनीकरण के लिए कॉन्फ्रेंस रखा जाएगा. जिसकी जानकारी प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से विश्वविद्यालय के वीसी जे.पी शर्मा ने दी. उन्होंने कहा कि कृषि मेले में विश्वविद्यालय की तरफ से कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए विकसित किए गए उपकरण दिखाए जाएंगे.
नवीनीकरण किसान कांफ्रेंस का उद्घाटन केंद्रीय पशुपालन मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला करेंगे. मेले में किसानों, कृषि से संबंधित महिलाओं, मवेशियों के मालिक, उद्यमी, ग्रामीण युवा, शिक्षाविद, विद्यार्थियों को एक साथ एक मंच पर लाया जाएगा और कृषि उत्पादन बढ़ाने की तकनीक बारे जानकारी दी जाएगी.
मेले में होने वाली अन्य गतिविधियां कुछ इस प्रकार है:
कृषि स्टार्टअप
बीकीपिंग सम्मेलन
बासमती पर कार्यशाला
गुणवत्ता वाले बीजों की बिक्री
वेजीटेबल शो
फ्रूट शो
डॉग शो
कृषि पर्यटन
ग्रामीण खेल के साथ अन्य गतिविधियों को भी आयोजित किया जाएगा.
इस कार्यक्रम का आनंद लोग virtually भी उठा सकते है. इसमें पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड के किसान भाग ले रहे हैं. इतना ही नहीं मेले में तीन सौ से अधिक स्टाल लगाए जाएंगे. इससे मेला कितना भव्य होगा इसका आप अंदाजा लगा सकते हैं.
वीसी ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर चर्चा करते हुए कहा कि स्टार्टअप के तहत 20 उद्यमियों ने अपने यूनिट स्थापित किए हैं. आपको बता दें इस समय विश्वविद्यालय में 45.5 करोड़ रुपये की लागत से 96 रिसर्च प्रोजेक्ट चल रहे हैं. विश्वविद्यालय ने चावल की नौ, गेंहू की पांच, मक्की की दो, आयल सीड की आठ, दालों की पांच, फलों की तीन और सब्जियों की नौ किस्मों को विकसित किया है.
हाल ही में 12 किस्में जारी की गई हैं, जिसमें तीन बासमती की किस्में शामिल हैं. वीसी ने कहा कि विश्वविद्यालय किसानों को जागरूक और उनको नई खेती के लिए प्रेरित करने के लिए समय-समय पर एक्सटेंशन गतिविधियां आयोजित करता रहता है.