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Updated on: 7 April, 2025 5:26 PM IST
ड्रैगन फ्रूट पिकर और ड्रैगन फ्रूट हार्वेस्टर

बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू), सबौर ने ड्रैगन फ्रूट की तुड़ाई हेतु दो हैंड हेल्ड तुड़ाई यंत्र  विकसित किए हैं और दोनों ही तुड़ाई यंत्रों को  पेटेंट भारतीय पेटेंट मिल गये हैं . साधारणतः ड्रैगन फ्रूट को घुमाकर तोड़ा जाता है और चूंकि कैक्टस प्रजाति का होने के कारण इसका पौधा कोमल होता है इससे पौधे में नुक़सान होता है. साथ ही साथ फलों का  कुछ हिस्सा भी टूटकर कभी कभी पौधों पर लगा रह जाता है जिसे फलो की शेल्फ़ लाइफ एवं मार्केट वैल्यू में प्रभाव पड़ता है.

कृषि विश्वविद्यालय, सबौर द्वारा विकसित दोनों हार्वेस्टिंग उपकरण नवोन्मेषी है और इन्हें उपयोग करना बहुत ही आसान है और इनसे बड़ी आसानी से फलों की तुड़ाई की जा सकती हैं.

दोनों ड्रैगन फ्रूट पिकर के विकास में डॉ वसीम सिद्दीक़ी, डॉ. शमीम, डॉ. सत्यनारायण, डॉ. महेश, डॉ. सिंह, डॉ. फोजिया एवं डॉ सनोज कुमार ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है. यह हार्वेस्टर कम खर्चे वाले एवं टिकाऊ हैं और इससे किसानों को बहुत लाभ होने की उम्मीद है साथ ही साथ ड्रैगन फ्रूट बागानों में दक्षता और उत्पादकता बढ़ाने में कारगर होगी. यह नवाचार विशेष रूप से सामयिक है, क्योंकि बिहार सरकार ने ड्रैगन फ्रूट की खेती को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है. ड्रैगन फ्रूट विकास योजना के तहत 21 जिलों में बड़े पैमाने पर खेती को प्रोत्साहित करने के लक्ष्य के साथ, किसानों को 40% सब्सिडी मिलेगी जिससे किसानों की आय और उत्पादकता में वृद्धि होगी, साथ ही राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था में भी वृद्धि होगी.

“बिहार में नयी नयी बाग़वानी फसलों को बढ़ावा देने के लक्ष्य में खेती में आसानी लाना है जिस से कम लागत में किसान बंधु अधिक मुनाफ़ा ले सके. दोनों ड्रैगन फ्रूट पिकर के विकास से तुड़ाई लागत कम की जा सकेगी और किसानों को अधिक लाभ मिलेगा.

डॉ डी आर सिंह
कुलपति, बि कृ वि, सबौर

English Summary: Agricultural University Sabour got two Indian patents for developing dragon fruit picker
Published on: 07 April 2025, 05:31 PM IST

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