Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 7 August, 2024 12:48 PM IST
मशरूम की नई किस्म 'दूध छाता'

भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद नई दिल्ली के मशरुम अनुसन्धान निदेशालय चम्बाघाट, , सोलन (हिमाचल प्रदेश) के द्वारा संचालित अखिल भारतीय समन्वित मशरुम अनुसन्धान परियोजना, उदयपुर के वैज्ञानिको ने राजस्थान के विभिन्न वन्य जीव अभयारणो एवं जंगलो में खाद्य एवं औषधीय मशरुम की विविधता का अध्ययन करने के लिए माह जुलाई- अगस्त 2024  में सघन निरिक्षण किया गया.  निरिक्षण के दौरान अभी तक कुल 64 मशरुम की किस्मों का संग्रहण किया गया.

बता दें कि फुलवारी की नाल, फलासिया- कोटड़ा, केवड़ा की नाल, सीता माता वन्य जीव अभ्यारण्य -प्रतापगढ़, गोगुन्दा, सांडोल माता झाड़ोल व झल्लारा, सलूम्बर के जंगलों का निरिक्षण प्रमुख रूप से किया गया.

मशरूम की नई किस्म 'दूध छाता' की हुई खोज

वही, अखिल भारतीय समन्वित मशरुम अनुसन्धान परियोजना उदयपुर के प्रभारी व सह आचार्य डॉ. नारायण लाल मीना ने बताया की दक्षिण राजस्थान के जंगलो में मशरुम की किस्मों में काफी विविधता पाई जाती है. इन जंगलो में वनस्पति की किस्मों में भी काफी विविधता देखने को मिलती है. इस कारण मशरुम की किस्मों की सर्वाधिक विविधता फुलवारी की नाल, फलासिया -कोटड़ा में मिली.  क्योकि फुलवारी की नाल वनस्पति की विविधता का प्रमुख क्षेत्र रहा है. जानकारी के लिए बता दें कि सघन निरिक्षण के दौरान सीता माता वन्य जीव अभ्यारण्य, प्रतापगढ़ में दूध छाता मशरुम की एक नई जंगली खाद्य किस्म मिली. जो खेती की जाने वाली ‘दूध छाता’ मशरूम है.

ये भी पढ़ें: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट!

दूध छाता मशरूम की विशेषताएं

‘दूध छाता’ मशरूम की कैप का परिमाप 30  x  28  सेमी, आकार-गोलाकार, रंग -दूध जैसा सफ़ेद, तने की लम्बाई 23-25  सेंटीमीटर तथा एक फ्रूट बॉडी का वजन 2 से 2.25 किलोग्राम दर्ज किया गया. जोकि दूध छाता मशरूम की फ्रूट बॉडी का सर्वाधिक वजन है. यहां एक बड़ी प्रकार की किस्मों में से एक है, जिसका उत्तक संवर्धन मशरुम प्रयोगशाला, राजस्थान कृषि महाविद्यालय, उदयपुर में करके आगे खेती करने की तकनीक विकसित करने का अनुसन्धान किया जायेगा.

इस किस्म की खोज करने वाली टीम में परियोजना प्रभारी डॉ. नारायण लाल मीना के आलावा डॉ. सुरेश कुमार, अविनाश कुमार नागदा व किशन सिंह राजपूत आदि थे.

English Summary: Agricultural scientists get big success discover new variety of mushroom dudh chhata
Published on: 07 August 2024, 12:53 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now