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Updated on: 11 May, 2020 6:31 PM IST
सुगंधित धान की नई किस्म

छत्तीगढ़ के बस्तर जिले में किसान सुगंधित धान की खेती करने के लिए आगे आ रहे हैं. सुगंधित धान की खेती करने के कई फायदे होते हैं. राज्य का कृषि विभाग लगातार किसानों को सुगंधित धान की खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है. हालांकि, अब उनकी मेहनत रंग ला रही है. 

इसी कड़ी में एक बार फिर कृषि महाविद्यालय के 5 वैज्ञानिक सुगंधित धान की नई किस्म विकसित करने में जुटे हैं. बताया जा रहा है कि वैज्ञानिक अपने इस शोध को करीब 1 साल में पूरा कर पाएंगे. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि अगले साल किसानों को नई धान की किस्मों की सुविधा मिलने लगे.

बस्तर धान-1 किस्म को भी किया विकसित (Bastar Paddy-1 variety was also developed)

जानकारी के लिए बता दें कि ये वही वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने बस्तर धान-1 किस्म को विकसित किया था. इस किस्म को विकसित करने में करीब 6 साल का समय लगा था. इस समय जिले में करीब 1 हजार हेक्टेयर में सुगंधित धान की खेती की जा रही है.

इस साल रकबे में बढ़ोत्तरी (Increase in acreage this year)

इस साल सुगंधित धान की खेती का लाभ देखते हुए इसके रकबे में बढ़ोत्तरी की गई है. अधिकारियों की मानें, तो पिछले साल इसकी खेती 1250 हेक्टेयर में हुई थी, लेकिन इस साल  1550 हेक्टेयर में की जाएगी. 

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इसकी खेती में किसानों को परेशानी न हो, इसके लिए बीजों का भंडारण शुरू कर दिया गया है. इनमें छ: सुगंधित धान और एचएमटी समेत अन्य किस्मों के बीज शामिल हैं. 

नई किस्मों से मिलेगा अधिक उत्पादन (New varieties will get more production)

कृषि वैज्ञानिकों की मानें, तो किसानों को आने वाली नई किस्म द्वारा अधिक मुनाफ़ा मिलेगा. किसान इस किस्म की पैदावार को 4000 से 4500  रुपए प्रति क्विंटल बेच पाएंगे. बता दें कि अब तक दुबराज, बादशाहभोग और जवा फूल का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 12 से 15 क्विंटल होता है. इसके अलावा छत्तीसगढ़ सुगंधित धान का उत्पादन 25 से 30 क्विंटल तक मिलता है. 

अगर किसानों के लिए अगले साल तक धान की नई किस्म विकसित हो जाती हैं, तो उन्हें धान की खेती से और भी अधिक लाभ प्राप्त होगा.

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English Summary: Agricultural scientists are researching a new variety of aromatic paddy
Published on: 11 May 2020, 06:35 PM IST

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