सोमानी क्रॉस X-35 मूली की खेती से विक्की कुमार को मिली नई पहचान, कम समय और लागत में कर रहें है मोटी कमाई! MFOI 2024: ग्लोबल स्टार फार्मर स्पीकर के रूप में शामिल होगें सऊदी अरब के किसान यूसुफ अल मुतलक, ट्रफल्स की खेती से जुड़ा अनुभव करेंगे साझा! Kinnow Farming: किन्नू की खेती ने स्टिनू जैन को बनाया मालामाल, जानें कैसे कमा रहे हैं भारी मुनाफा! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 29 August, 2017 12:00 AM IST
Variety

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने भारतीय कृषि एवं अनुसंधान परिषद- कृषि प्रोद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान-कानपुर, नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय फैजाबाद एवं कृषि विज्ञान केन्द्र वाराणसी द्वारा आयोजित “न्यू इंडिया मंथन-संकल्प से सिद्धि“ कार्यक्रम तथा 56 वीं अखिल भारतीय समन्वित गेहूँ एवं जौ सुधार परियोजना कार्यशाला (2017) में लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि ‘संकल्प से सिद्धि’ अभियान ने देश भर में एक जन आंदोलन का रूप ले लिया है.

प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी जी के आह्वान के बाद समूचा देश एक नये भारत के निर्माण के लिए उठ खड़ा हुआ है। भारत छोड़ो आंदोलन के 75 वीं वर्षों के बाद शुरू किए गए ‘संकल्प से सिद्धि’ अभियान का देश भर में व्यापक प्रभाव देखा जा रहा है. इस अवसर केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को वर्ष 2022 तक नए भारत का निर्माण व कृषि आय दुगनी करने का संकल्प दिलाया.

इसके अलावा कृषि विज्ञान केन्द्र वाराणसी द्वारा एक विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किया गया. जिसमे किसानों को अत्याधुनिक ढंग से उन्नत खेती करने की तकनीक बताई गयी. साथ ही कार्यक्रम में किसानों को सॉइल हैल्थ कार्ड बनवाने, एकीकृत कृषि प्रणाली अपनाने और जैविक खेती के तरीके उपयोग करने जैसी कई महत्वपूर्ण शपथ दिलाई गयी. जिससे साल 2022 तक किसानों की आमदनी को दो गुना किया जा सकें.

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री  राधा मोहन सिंह ने कहा है कि अखिल भारतीय गेहूँ एवं जौ सुधार परियोजना के तहत सभी समन्वित केन्द्र जैविक व अजैविक कारकों से निपटने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं ताकि वर्ष 2050 तक गेहूँ को पोषण समृद्ध एवं मूल्य संवर्धित बनाया जा सके. कृषि मंत्री ने यह बात  काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी में आयोजित 56 वीं अखिल भारतीय समन्वित गेहूँ एवं जौ सुधार परियोजना कार्यशाला (2017) में कही.

कृषि मंत्री ने आगे कहा कि समन्वित कार्यक्रम इस प्रकार से योजनाबद्ध किया गया है कि यह पर्यावरण हितैषी आर्थिक रूप से लाभप्रद सामाजिक दृष्टि से समरूपता वाला है. समन्वित कार्यक्रम की वजह से फसल के उत्पादन में पिछले पाँच दशकों में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. औसत उपज प्रति हैक्टर 1964-65 के 0.91 टन से बढ़कर 2016-17 में 3.22 टन हो गई.

कृषि मंत्री ने बताया कि सन् 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारतवर्ष में 7 मिलियन टन गेहूँ का उत्पादन हो रहा था तथा गेहूं की उत्पादकता महज 700 कि. ग्रा. थी। सन् 2016-17 के दौरान देश में 255.68 मि. टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ जिसमें धान, गेहूँ और दालों के उत्पादन में नये आयाम स्थापित हुए, साथ ही अब तक का सर्वाधिक (98.38 मि.टन) गेहूँ का उत्पादन भी हुआ जिसकी उत्पादकता 3216 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर रही.

उन्होंने कहा कि यह अप्रत्याशित वृद्धि का श्रेय किसानों की जी तोड़ मेहनत को जाता है. इस सफलता के लिए सभी नीति नियंताओ और उनको अमलीजामा पहनाने वाले कृषि अधिकारी, विस्तार कार्यकर्ता और सर्वोपरि वैज्ञानिक समुदाय है जिन्होने इस सफलता में रीढ़ की हड्डी का काम किया है.

उन्होंने जानकारी दी कि भारत ने गेहूँ के आयातक राष्ट्र से आत्मनिर्भर राष्ट्र और फिर निर्यातक राष्ट्र का दर्जा 1970 के दौरान ही प्राप्त कर लिया था. यही कारण है कि वर्ष के दौरान अन्न भंडार की स्थिति में उतार-चढ़ाव या फिर साल दर साल उतार-चढ़ाव का प्रबंधन आज आसानी से किया जा रहा है.

कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्री ने कहा कि नवोन्मेषी तकनीकों एवं तकनीकी हस्तक्षेपों के साथ-साथ नीतिगत सुधारों की वजह से हरित क्रांति का देश में प्रादुर्भाव हुआ. उत्पादन और उत्पादकता बढ़ी तथा देश में खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता आई इसका श्रेय बौनी किस्मों के अंगीकरण को दिया जाता है जिनका विकास अखिल भारतीय गेहूँ एवं जौ सुधार परियोजना के तहत किया गया था. सन् 1965 में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली में अखिल भारतीय समन्वित गेहूँ सुधार परियोजना का शुभांरभ गेहूँ सुधार की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हुआ.

उन्होंने कहा कि अब तक अखिल भारतीय समन्वित गेहूँ एवं जौ सुधार परियोजना के माध्यम से 421 गेहूँ की व 92 जौ की उन्नतशील प्रजातियाँ विकसित की गई है जिनकी खेती देश के विभिन्न उत्पादन क्षेत्रों में की जा रही है. उन्होंने बताया कि आज पूरे देश में जौ के 8 वित्त पोषित केन्द्र तथा तीन स्वैच्छिक केन्द्र हैं जो मुख्य जौ उत्पादक राज्यों में स्थित हैं

कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ (some important achievements)

· भारत की पहली जिंक संपूरित किस्म डब्ल्यू बी 2 का विकास वर्ष 2016 में किया गया

· उच्च कोटि के प्रजनक बीज का उत्पादन तथा देश के किसानों का बीज उत्पादन में क्षमता विकास

  • करनाल बंट फफूंद का ड्राफ्ट सिक्वेंस एक अद्भुत उपलब्धि रही.

  •  फीनोटाइपिंग के लिए बड़े आकार के प्लाट विकसित किए गए जो देश के लिए नोडल केन्द्र के रूप में उपलब्ध हैं.

  • प्रति बूंद अधिक उपजको ध्यान में रखकर जल उपयोग दक्षता को बढ़ाने के लिए अधिकगहरी जड़ वाली गेहूँ के किस्मों के विकास पर कार्य प्रारंभ किया गया है.

English Summary: 421 of wheat and 92 advanced varieties of barley developed
Published on: 29 August 2017, 02:11 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now