आज हम बात करेंगे ऐसे गंभीर मुद्दे पर उत्तरी हिस्सों में कटाई के मौसम में पराली जलाना चिंता का बढ़ा विषय है इसकी वजह से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और अन्य पड़ोसी क्षेत्रों में गंभीर वायु प्रदूषण का कारण बना दिया है.
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने फसल अवशेष जलने और वायुमंडल और मानव स्वास्थ्य पर इसके प्रभावों के बारे में चेतना बनाने के उद्देश्य से 11 अक्टूबर को तीन मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च किए हैं. एंड्रॉइड मोबाइल ऐप का आविष्कार पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर (पीआरएससी) ने किया है.
उन्होंने ऐसे 3 ऐप लांच किए जिस से थोड़ी राहत मिलेगी (He launched 3 such apps which will give some relief)
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फसल अवशेष के इन-सीटू प्रबंधन के लिए किसानों की खेती मशीनरी और उपकरणों तक पहुंच रखने के लिए किसानों की सहायता के लिए आई-खेत मशीन.
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क्षेत्र में वृक्षारोपण की जांच के लिए ई-पीएचएचएएल.
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ई-फसल अवशेष जलने की घटना के बारे में समय पर और सटीक जानकारी रखने से रोकें.
हिंदी-पंजाबी दोनों भाषा में होगा (Hindi-Punjabi will be in both language)
मोबाइल एप्लिकेशन पंजाबी के साथ-साथ अंग्रेजी भाषा में तीन स्तरों अर्थात जिला, ब्लॉक और गांव में जानकारी देंगे. लॉन्च के दौरान मुख्यमंत्री ने सख्त जांच के लिए जोर दिया और किसानों को पराली जलने के कारण होने वाले खतरों से अवगत कराया. उन्होंने कहा कि पराली जलने से न केवल मिट्टी के बनावट और पर्यावरण के अपरिवर्तनीय क्षति का कारण बनता है बल्कि मानव स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है. उन्होंने किसानों को पराली जलने के बारे में सूचित करने के लिए अभियान बढ़ाने के लिए विज्ञान विभाग, विज्ञान और पर्यावरण विभाग के साथ काम करने के निर्देश दिए.
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मुख्य सचिव (विकास) विश्वजीत खन्ना ने कहा कि पंजाब में 20 मिलियन टन धान की भूसे का उत्पादन हुआ था, जिनमें से केवल 5 मिलियन टन का प्रबंधन किया गया था। खेत की आसान मंजूरी के लिए लगभग 15 मिलियन टन धान की भूसे जला दी गई.