नवंबर का महीना चल रहा है और सर्दियां भी शुरू हो चुकी है. इस सीजन में किसान रबी के फसलों की खेती बड़े पैमाने पर करते है. इसमें खर्च भी बहुत अधिक आता है. इसकी खेती में अधिक मेहनत और लागत लगती है. कई बार बुआई ठीक समय से नहीं होने पर उत्पादन प्रभावित होता है.
अगर बुआई देरी से हुई तब भी उत्पादन प्रभावित होता है. इन सभी तरह की परिस्थितियों से बाहर आने के लिए गेहूं की खेती का सबसे बेहतरीन तरीका है जीरो टिलेज विधि के सहारे खेती.
इस विधि का प्रयोग करने पर उत्पादन बहुत होता है और साथ ही किसानों का मुनाफा भी बढ़ जाता है.यहां पर किसानों ने पिछले साल वर्ष 2018 में जीरो टिलेज विधि से खेती में बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे किसानों को नई राह दिखाई है. यहां के किसान अन्य किसानों को भी जीरो टिलेज तकनीक के सहारे इसको इस्तेमाल करने की सलाह दे रहे है.
किसान हो रहे उन्मुख किसानों ने गेहूं के लिए जीरो टिलेज विधि को अपनाना शुरू कर दिया है. इससे गत वर्ष पहले प्रखंड के 180 एकड़ में कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम के जरिए जीरो टिलेज विधि से खेती को शुरू किया गया है. यहां पर हेमजापरु, शिवकुंड पंचायत के दर्जन किसानों ने इस तकनीक से गेहूं, मसूर और मूंग आदि की खेती शुरू की थी.
यहां पर बेहतर तरीके से उत्पादन के बाद अन्य क्षेत्र के किसान भी जीरो टिलेज की विधि को अपनाने के लिए प्रेरित हुए है.
यहां पर कई किसान इस तकनीक को प्रयोग करने के लिए पूरी तरह से सहमति जता चुके है. लगाई गई कई फसल यहां पर कुल 180 एकड़ में जीरो टिलेज विधि के सहारे यहां पर खेती की गई है, इसमें कुल 45 एकड़ में गेहूं, 15 एकड़ में मसूर, मूंग की फसल लगाई गई है.
यहां पर स्मार्ट क्लाईमेट गांवों को शुरू किया गया है. इसके काफी बेहतरीन परिणाम सामने निकल कर आने लगे है. किसान फिर से इस तकनीक का इस्तेमाल कर रहे है.