Plowing Equipment: भारत में खेतीबाड़ी के लिए कई प्रकार के कृषि यंत्रो या उपकरणों का उपयोग किया जाता है. उपकरण खेती के कई बड़े कामों को आसान बनाते हैं और लागत को कम करने का काम करते हैं. बुवाई से लेकर कटाई तक के कामों को आसान बनाने में कृषि यंत्र अहम भूमिका निभाते हैं. बुवाई के लिए खेत को तैयार करने के लिए किसान ट्रैक्टर चालित रोटावेटर या कल्टीवेटर का उपयोग करते हैं. ये यंत्र मिट्टी की उपरी परत की हल्की जुताई करते हैं, जिससे बुवाई करना आसान हो जाता है. वहीं सिंचाई और वर्षा के कारण खेत में अनावश्यक जमा पानी का निकास एक बड़ी समस्या है. हल्की जुताई और खेतों में ट्रैक्टर के चलने से जड़ें नीचे दब जाती है और मिट्टी पर कड़क परत बन जाती है. इन परतों की वजह से मिट्टी में पानी का निकास बाधित होता जाता है. इसके अलावा पुरानी फसलों के अवशेष भी जड़ के पास आकार एकत्रित हो जाते हैं.
ऐसा होने से सतह के नीचे जल का जमाव और अन्य अनावश्यक पदार्थो का जमाव हो जाता है, जो खेत के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं.
इन सभी समस्याओं से निपटने के लिए रबी के फसल की कटाई उपरांत खेत की ग्रीष्म कालीन जुताई एवं अन्य कार्य आवश्यक है. इस प्रक्रिया से मिट्टी के अंदर की कड़क परत को तोड़ने और खेत का समतलीकरण करने का काम किया जाता है. कृषि जागरण की इस पोस्ट में आज हम इन्हीं यंत्रों के चुनाव एवं परिचालन की चर्चा करने जा रहे हैं.
मोल्ड बोर्ड हल (Mould Board Plough)
इसे किसानों के बीच मिट्टी पलट हल के नाम से भी पहचाना जाता है. मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बनाये रखने के लिए जरूरी है कि इसे पलटा जाये. मिट्टी पलटने तथा खरपतवार को नीचे दबाने के लिए मोल्ड बोर्ड हल अधिक गहरी तक जुताई करते हैं और मिट्टी को भी पलटते है. जिससे सतह पर मौजूद खर-पतवार एवं अन्य फसल अवशेष अच्छी तरह दब जाते हैं.
2 फाल वाले प्लाऊ को चलाने के लिए ट्रैक्टर की हॉर्स पावर 35 से 45 एचपी होनी चाहिए. इस प्लाऊ की कार्य क्षमता 1.5 हेक्टेयर तक प्रति दिन होती है. वहीं 3 फाल वाले प्लाऊ को चलाने के लिए ट्रैक्टर की हॉर्स पावर 40 से 50 एचपी होनी चाहिए. इस हल के साथ किसान 2 हेक्टेयर तक प्रति दिन काम कर सकते हैं. इस कृषि उपकरण का उपयोग गर्मी के मौसम में खेत की गहरी जुताई के लिए, ढैचा/सनई आदि हरी खाद वाली फसल को मिट्टी में पलटकर मिलाने के लिए भी किया जाता है.
ये भी पढ़ें: 3 लाख की रेंज में सबसे एडंवास मिनी ट्रैक्टर, जो है बागवानी का एक्सपर्ट
डिस्क प्लाऊ (Disc Plough)
डिस्क प्लाऊ भी एक मिट्टी पलटने वाला हल है और यह मोल्ड बोर्ड हल की अपेक्षा यह ज्यादा गहराई तक जुताई करने में सक्षम होता है. किसान इस यंत्र का उपयोग भारी मिट्टी को पलटने के लिए करते हैं. इसमें आपको दो या तीन फाल देखने को मिल सकते हैं.
खेतों में ज्यादा खरपतवार तथा गहरे फसल अवशेष को काटने तथा पलटने में इस यंत्र का प्रयोग किया जाता है. ट्रैक्टर की क्षमता के अनुसार इस यंत्र से 40 से 50 सेंटीमीटर की गहराई पर जुताई की जा सकती है. इस कृषि यंत्र की कार्य क्षमता साथ प्रतिदिन 1.5 से 2 हेक्टर है.
चिसेल प्लाऊ (Chisel Plough)
चिसेल हल बिना सतह वाली मिट्टी को अस्त व्यस्त किये तथा सतह पर मौजूद फसल अवशेषों को यथावत रखते हुए काफी गहरी चीरे लगाई जा सकते हैं. इस यंत्र के साथ 1 मीटर की गहराई तक जुताई कर सकते हैं.
ऐसा करने से स्थाई तौर पर सतह के नीचे की जल निकासी सुनिश्चित की जा सकती है. मिट्टी पलट हलों की तुलना में चिजेल हल के प्रयोग से मिट्टी की सतह पर किसी प्रकार का कार्य नहीं किया जाता है, जिससे हवा या पानी के कारण मिट्टी के कटाव को रोका जा सकता है.
लेजर लैंड लेवलर (Laser Land Leveler)
खेत की जुताई और सिंचाई करने से भूमि असमतल हो जाती है, जिससे मिट्टी के पोषक तत्व का असामान्य वितरण और सिंचाई जल में बढ़ोतरी जैसी समस्याएं उत्पन्न होने लग जाती है. समय-समय पर खेत के समतलीकरण की आवश्यकता को सटीक और कम समय में पूरा करने के लिये लेजर लैंड लेवलर का उपयोग किया जाता है. इस मशीन में लेजर किरणों की मदद से पीछे लगे बकेट को नियंत्रित करके भूमि को समतल किया जा सकता है.
यह कृषि यंत्र पहले खेत की गहरी जुताई करके पाटा लगाने का काम करता है, जिससे मिट्टी भुरभुरी हो जाती है और खेत का समतलीकरण किया जाता है. इसके बाद लेजर डिटेक्टर तथा ग्रेड रॉड की मदद से खेत में कम से कम 16 जगहों पर ऊंचाई ज्ञात की जाती है. इन ऊंचाइयों का औसत ही खेत का सही लेवल पॉइंट होगा और इसके बाद लेजर लेवेलर का परिचालन कर खेत का समतलीकरण स्वचालित रुप से किया जाता है. खेत का समतलीकरण करने से सिंचाई जल में 30 से 40% की बचत हो जाती है और पैदावार भी 15 से 20% तक बढ़ जाती है. खेत में सिंचाई का पानी एकसार होने से खरपतवार तथा बीमारियों के प्रकोप में भी कमी आती है.