हम अपने शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए हमेशा ही कुछ न कुछ ख़ास करते रहते हैं जिनमें कभी जिम तो कभी योगा के साथ ही एक हेल्दी डाईट को भी फॉलो करते हैं. लेकिन इतना सब करने के बाद भी हम कभी-कभी किसी बड़े रोग से पीड़ित हो ही जाते हैं. आज हम आपको पैरालिसिस के बारे में बताने जा रहे हैं जो हमारे शरीर में कई कारणों से हो सकता है. तो आइये जानते हैं इसके होने के कारण, लक्षण और बचाव
पैरालिसिस के प्रकार और कारण
Ischemic Stroke: इसका कारण अक्सर यह होता है कि शरीर के किसी भाग में रक्तसंचार की समस्या होती है, जिससे उस क्षेत्र का न्यूरॉनल पोषण बंद हो जाता है. इनमें कुछ वजहें शामिल हो सकती हैं, जैसे शिरा में थकान, रक्त के थक्के जमना, रक्तवाहिनी में आवृत्ति, आयरन की गाँठ (clot) इत्यादि.
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Hemorrhagic Stroke: यह एक तरह का पक्षाघात होता है जहां रक्तस्राव शरीर के किसी भाग में होता है. यह कई कारणों से हो सकता है जैसे मस्तिष्कीय या स्पिनल शिराओं का फटना, रक्तस्राव में बृद्धि होना आदि हैं.
अन्य कारण: इसके अन्य कई कारण भी हो सकते हैं जो पैरालिसिस का कारण बनते हैं, जैसे एमएस (Multiple Sclerosis), सामान्य व्यायाम के दौरान चोट या घाव, स्पाइनल कॉर्ड इंफेक्शन या अल्सर, न्यूरॉनल मारक रोग जैसे गिलेन-बारे सिंड्रोम (Guillain-Barre Syndrome) आदि.
पैरालिसिस के लक्षण
पैरालिसिस के होने से पहले कुछ लक्षण में शारीरिक असामान्यता दिख सकती हैउदाहरण के लिए, उंगलियाँ या हाथ-पैर के आकार में बदलाव का आना, उंगलियों या शरीर के किसी अन्य हिस्से में तनाव, धक्का या चलने की समस्या होना, बोलने में समस्या आना, कोई भी काम करने में असमर्थ हो जाना आदि लक्षण होने पर आपको यह रोग हो सकता है. इसके साथ ही अगर आपको अपने शरीर किसी अंग का सुन्न हो जाना भी इसके लक्षणों में शामिल है.
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पैरालिसिस से बचाव
इस रोग से बचाव के लिए आपको अपनी दैनिक दिनचर्या में सुधार करना होगा. इसके लिए पोषक और प्रोटीन-युक्त आहार खाएं, साथ ही फल, सब्जी, पूर्ण अनाज, हरे पत्ते और पौष्टिक तेल का उपयोग एवं नियमित नींद को अवश्य पूरा करना चाहिए. अगर आप इस रोग से हमेशा सुरक्षित रहना चाहते हैं तो आपको दैनिक व्यायाम को भी अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए.