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Updated on: 28 November, 2020 1:41 PM IST

कालमेघ एक बहुवर्षीय औषधीय पौधा है. भले ही इसका स्वाद खाने में कड़वा हो लेकिन इसके फायदे जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे. कालमेघ का पौधा कई तरह की बीमारियों में लाभदायक है. यह पौधा खास तौर पर भारत और श्रीलंका में पाया जाता है. भारत में यह बिहारउत्तर प्रदेश, पश्चिमी बंगाल में सबसे ज्यादा होते हैं.

कालमेघ के औषधीय गुण (Medicinal properties of Kalmegh/ Green chiretta)

कालमेघ का इस्तेमाल पेट संबंधी समस्याओं के लिए बहुत लाभकारी है. इसके उपयोग से पेट में गैसअपचमिचली, एसिडिटी (acidity) की समस्या को दूर होती है. इस औषधीय पौधे की पत्तियों का इस्तेमाल पेचिस, ज्वर नाशकजांडिससिरदर्द समेत अन्य पेट की बीमारियों के इलाज में किया जाता है.  

इसका प्रयोग कुष्ठ रोग (leprosy) में किया जाता है।

कालमेघ पौधे की पत्तियों के इस्तेमाल से ना केवल पेट से जुड़े रोग ठीक होते हैं, बल्कि चर्मरोग के लिए भी ये बहुत उपयोगी है.

ब्रोंकाइटिस ( bronchitis) रोग में फायदेमंद

कालमेघ पौधे का उपयोग ब्रोंकाइटिस( bronchitis) नामक बीमारी में भी किया जाता है. इस बीमारी में सांस लेने वाली नली में सूजन आ जाती है जिसकी वजह से श्वासनली कमजोर होने लगती है, इस बीमारी की वजह से फेफड़े बहुत प्रभावित होते हैं.

Kalmegh

इम्यूनिटी को बढ़ाता है ये पौधा

कालमेघ पौधे में रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता (Immunity) पाई जाती है. यह मलेरिया और अन्य प्रकार के बुखार के लिए भी रामबाण औषधि है.

इन रोगों में भी कालमेघ पौधे का होता है इस्तेमाल

  • इसका उपयोग लीवर से संबन्धित रोगों को दूर करने में होता है.

  • इस पौधे की जड़ का इस्तेमाल भूख लगने वाली औषधी के रूप में भी किया जाता है.

  • कालमेघ का पौधा पित्तनाशक (Cholecystitis) है, अतः पित से संबन्धित बीमारियों में इसका उपयोग किया जाता है.

  • इसकी ताजी पत्तियों से हैजा रोग (Cholera Disease) का इलाज किया जाता है.

  • यह रक्तविकार सम्बन्धी रोगों के उपचार में भी लाभदायक है. कालमेघ के नियमित रूप से सेवन करने से खून साफ होता है.

  • सांप के काटने पर भी इस पौधे का उपयोग किया जाता है.

  • कालमेघ में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुण (Anti-inflammatory and analgesic) होते हैं. अत: जोड़ों के दर्द या सूजन को कम करने में ये पौधा सहायक है.

कालमेघ का उपयोग कैसे करें? (How to use Kalmegh/ Green chiretta)

  • चर्म रोग को दूर करने के लिए सरसों के तेल के साथ मिलाकार इसे त्वचा पर लगाएं. ऐसा करने से दादखुजली आदि रोगों में फायदा होता है. इसके अलावा त्वचा संबन्धित विकार दूर करने के लिए रात के समय एक गिलास पानी में कालमेघ और आंवला चूर्ण मिलाकर रख दें, और सुबह के समय इसका छान कर सेवन करें. इससे त्वचा के सारे रोगों को दूर किया जा सकता है.

  • त्वचा पर घाव, रेसेस या चकते निकल आने पर कालमेध की पतियों को बारीक पीस लें, इसे प्रभावित जगह पर लगाने से आराम मिलेगा.

  • कब्ज (Constipation) को दूर करने के लिए 2 ग्राम कालमेघ चूर्ण में 2 ग्राम आंवला चूर्ण, 2 ग्राम मुलेठी के साथ 400 मिलीलीटर पानी में मिलाकर एक मिश्रण तैयार करें. इस मिश्रण को उस समय तक उबालें जब तक पानी की मात्रा घटकर 100 मिलीलीटर ना हो जाए. इस काढ़े को छान कर दिन में 2 बार सेवन करें.

  • भूनिम्बनीम छालत्रिफला चूर्णपरवल के पत्तेगिलोयपित्तपापड़ा और भृंगराज आदि  औषधियों से काढ़ा बना लें. इस काढ़े में 10 मिली शहद मिलाकर पीने से एसिडिटी में लाभ होता है.

  • 1-2 मिली कालमेघ पत्ते के रस को पिलाने से बच्चों में पाचन संबंधी (Digestive system) और अन्य पेट के रोगों में लाभ मिलता है.

  • इस पौधे की सूखी पत्तियों का गर्म पानी में काढ़ा बनाकर पीने से पेट के कीड़ों का इलाज होता है.

  • सर्दी के कारण नाक बहने की परेशानी आम है जिसे दूर करने के लिए 1200 मिलीग्राम कालमेघ का रस नाक में डालने से नाक का बहना ठीक हो जाता है.

  • पीलिया रोग (jaundice) को दूर करने के लिए आधा लीटर पानी में 1 ग्राम कालमेघ, 2 ग्राम भुना हुआ आंवला चूर्ण, 2 ग्राम मुलेठी डाल कर उबालें और एक चौथाई पानी बचने पर इसे छान कर प्रयोग करें.   

  • शारीरिक दुर्बलता या कमजोरी को मिटाने के लिए कालमेध का उपयोग किया जाता है, इसके लिए 10-20 मिली पत्तों का काढ़ा बना कर सेवन करना चाहिए. इसका तना भी एक शक्तिशाली टॉनिक होता है.

English Summary: Medicinal properties and use of Green chiretta
Published on: 28 November 2020, 01:45 PM IST

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