राजस्थान के जयपुर जिले में आमेर तहसील के ग्राम पंचायत में तीन किसानों ने आधुनिक तरीके से सेटीस, ब्रोकली, हाइब्रिड तुलसी, पोपचाही, लोटसरेड सहित अन्य विदेशी सब्जियों की बंपर पैदावार न करके सिर्फ जयपुर की पहचान बढ़ रही है बल्कि दूस,रे देश थाईलैंड, म्यांमार और भूटान में तो यहां पर पैदा की जा रही सब्जियों की मांग काफी तेजी से बढ़ी है, जिससे किसानों की दशा और दिशा दोनों ही बदल गई है.. यहां की फसलें प्राकृतिक आपदा के कारण फसल पूरी तरह से खराब हो जाती है तो कभी उम्मीद के अनुरूप खेती नहीं हो पाती, जिससे परिवारों को चलाना ही मुश्किल हो रहा है. इसीलिए उनके मन में विदेशी सब्जियों को पैदा करने का विचार आया और पंद्रह साल पहले पंरपरागत खेती को छोड़कर विदेशी सब्जियों के उत्पादन को ठान लिया है.
सब्जियों पर प्रयोग सफल रहा
आधुनिक तरीके से करीब आठ से दस किस्मों की सब्जी आधुनिक तकनीक से खेती कर रहे किसान ब्रदी डांगी बताते है कि वर्ष 2002 में पहली बार दो बीघा भूमि पर ब्रोकली, रेड कैबेज एवं लोटस गोभी की चार बीघा भूमि में आदुनिक तकनीक से खेती-बाड़ी करना शुरू किया है तो जुलाई से फरवरी महीने तक खेती की है. वही शेष भूमि पर उन्होंने बाजरे की फसल को भी बोया है.प्रयोगिक तौर पर बोई हुई विदेशी सब्जी और बाजरे को उगाने से उनको करीब साढ़े चार लाख रूपये की आमदनी प्राप्त हुई है. इसके बाद उन्होंने अगले वर्ष जुलाई में 15 बीघा में फसल बोई तो उन्होंने अपनी आमदनी को भी बढ़ा लिया है.
मिट्टी का बेड बनाया
किसानों के मुताबिक जमीन को तैयार करके वह मिट्टी का बेड बनाते है. उनके प्लास्टिक रोल में काफी छेद होते है. साथ ही खरपतवार को हटाकर सिंचाई प्रणाली का पाइप रोल के साथ ही बिछा दिया जाता है. साथ ही इनमें बीज भी बोया जाता है. इसके अकुंरण के बाद तने के पास ही पाइप से बने छेद से बूंद बूंद पानी गिरता है. उनकी सब्जियों की सप्लाई थाइलैंड, म्यांमार और भूटान के अलावा कई होटलों में परोसी जाती है. इसके अलावा उदयपुर, जयपुर, आमेर, समेत अन्य स्थान की नामचीन होटलों में सब्जियों की आपूर्ति हो रही है.,
खर्चा कम, पैदावर ज्यादा
सर्दी की फसल होने के कारण विदेशी सब्जियों में खाद्य, दवाई आदि बहुत कम मात्रा में दी जाती है.सर्दी के नमी के कारण इसमें रोगाणु नहीं होते है. साथ ही इन सब्जियों में बकरी की खाद व गाय भैंस का गोबर की खाद अधिक काम में ली जाती है.