Kisan Credit Card: किसानों को अब KCC से मिलेगा 5 लाख रूपये तक का लोन, जानें कैसे उठाएं लाभ? Farmers News: किसानों की फसल आगलगी से नष्ट होने पर मिलेगी प्रति हेक्टेयर 17,000 रुपये की आर्थिक सहायता! Loan Scheme: युवाओं को बिना ब्याज मिल रहा 5 लाख रूपये तक का लोन, जानें पात्रता और आवेदन प्रक्रिया Rooftop Farming Scheme: छत पर करें बागवानी, मिलेगा 75% तक अनुदान, जानें आवेदन प्रक्रिया भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ महिलाओं के लिए तंदुरुस्ती और ऊर्जा का खजाना, सर्दियों में करें इन 5 सब्जियों का सेवन ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक Wheat Farming: किसानों के लिए वरदान हैं गेहूं की ये दो किस्में, कम लागत में मिलेगी अधिक पैदावार
Updated on: 4 October, 2019 12:00 AM IST

राजस्थान के जयपुर जिले में आमेर तहसील के ग्राम पंचायत में तीन किसानों ने आधुनिक तरीके से सेटीस, ब्रोकली, हाइब्रिड तुलसी, पोपचाही, लोटसरेड सहित अन्य विदेशी सब्जियों की बंपर पैदावार न करके सिर्फ जयपुर की पहचान बढ़ रही है बल्कि दूस,रे देश थाईलैंड, म्यांमार और भूटान में तो यहां पर पैदा की जा रही सब्जियों की मांग काफी तेजी से बढ़ी है, जिससे किसानों की दशा और दिशा दोनों ही बदल गई है.. यहां की फसलें प्राकृतिक आपदा के कारण फसल पूरी तरह से खराब हो जाती है तो कभी उम्मीद के अनुरूप खेती नहीं हो पाती, जिससे परिवारों को चलाना ही मुश्किल हो रहा है. इसीलिए उनके मन में विदेशी सब्जियों को पैदा करने का विचार आया और पंद्रह साल पहले पंरपरागत खेती को छोड़कर विदेशी सब्जियों के उत्पादन को ठान लिया है.

सब्जियों पर प्रयोग सफल रहा

आधुनिक तरीके से करीब आठ से दस किस्मों की सब्जी आधुनिक तकनीक से खेती कर रहे किसान ब्रदी डांगी बताते है कि वर्ष 2002 में पहली बार दो बीघा भूमि पर ब्रोकली, रेड कैबेज एवं लोटस गोभी की चार बीघा भूमि में आदुनिक तकनीक से खेती-बाड़ी करना शुरू किया है तो जुलाई से फरवरी महीने तक खेती की है. वही शेष भूमि पर उन्होंने बाजरे की फसल को भी बोया है.प्रयोगिक तौर पर बोई हुई विदेशी सब्जी और बाजरे को उगाने से उनको करीब साढ़े चार लाख रूपये की आमदनी प्राप्त हुई है. इसके बाद उन्होंने अगले वर्ष जुलाई में 15 बीघा में फसल बोई तो उन्होंने अपनी आमदनी को भी बढ़ा लिया है.

मिट्टी का बेड बनाया

किसानों के मुताबिक जमीन को तैयार करके वह मिट्टी का बेड बनाते है. उनके प्लास्टिक रोल में काफी छेद होते है. साथ ही खरपतवार को हटाकर सिंचाई प्रणाली का पाइप रोल के साथ ही बिछा दिया जाता है. साथ ही इनमें बीज भी बोया जाता है. इसके अकुंरण के बाद तने के पास ही पाइप से बने छेद से बूंद बूंद पानी गिरता है. उनकी सब्जियों की सप्लाई थाइलैंड, म्यांमार और भूटान के अलावा कई होटलों में परोसी जाती है. इसके अलावा उदयपुर, जयपुर, आमेर, समेत अन्य स्थान की नामचीन होटलों में सब्जियों की आपूर्ति हो रही है.,

खर्चा कम, पैदावर ज्यादा

सर्दी की फसल होने के कारण विदेशी सब्जियों में खाद्य, दवाई आदि बहुत कम मात्रा में दी जाती है.सर्दी के नमी के कारण इसमें रोगाणु नहीं होते है. साथ ही इन सब्जियों में बकरी की खाद व गाय भैंस का गोबर की खाद अधिक काम में ली जाती है.

English Summary: Vegetables grown in this state are reaching abroad
Published on: 04 October 2019, 06:47 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now