नीलगिरी (Eucalyptus)
नीलगिरी एक बहुत ऊँचा वृक्ष हैं. इसकी लगभग 600 प्रजातियाँ पायी जाती हैं. जिन क्षेत्रों में औसत तापमान 30 -35 डिग्री तक पाया जाता है वह क्षेत्र नीलगिरी की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है. इस पौधे का विकास बीजों तथा कलम दोनों ही बिधियों से किया जाता है। इसके पौधे की लम्बाई ज़्यादा होने की कारण इसे जमीन के गहराई में रोपा जाता है. पौधे के उचित विकास के लिए इन्हें पर्याप्त मात्रा में सूर्य का प्रकाश, हवा और पानी की जरूरत होती है.
खेती
नीलगिरी के 1 एकड़ में 500 पौधे लगते है.
लागत
मिट्टी तैयार करने में कुल लागत 55-70 हज़ार तक की लग जाती है.
कमाई
1 पेड़ की बाजार में कीमत लगभग 30 हज़ार होती है, 10 साल में 1.5 करोड़ तक कमाया जा सकता है.
सागवान (Saagwan)
पिछले कई सालों में देश के जंगलों में सागवान की कटाई इतनी तेजी से हुई है की अब जंगलों में इन पेड़ों की संख्या बहुत कम हो गई है। जबकि सागवान की लकड़ी की क्वालिटी इतनी बेहतर होती है कि अब डिमांड प्रतिदिन तेजी से बढ़ रही है इसकी लकड़ी को ना तो दीमक लगती है और ना ही ये पानी में ख़राब होती है। इसलिए सागवान का इस्तेमाल फर्नीचर बनाने में बहुतायत किया जाता है. सागवान के पेड़ की आयु लगभग 200 साल से भी ज़्यादा की भी होती है।
खेती
सागवान के 1 एकड़ में 400 पौधे लगते है.
लागत
इस में कुल लागत 40 -45 हज़ार तक होती है.
कमाई
इसके 1 पेड़ की कीमत 40 हज़ार तक होती है 400 पेड़ों से 1 करोड़ 20 लाख तक कमाई कर सकते है.
गम्हार (Pitch)
यह तेज़ी से बढ़ने वाला पेड़ है. भारत के आलावा यह कई देशों में पाया जाता है, कंबोडिया, म्यांमार, थाईलैंड आदि जैसे देशों में इसकी मात्रा बहुत अधिक है. इसके पत्तों का इस्तेमाल दवाई बनाने में किया जाता है. यह अलसर जैसी समस्या से राहत दिलाने में बहुत फायदेमंद है.
खेती
गम्हार के 1 एकड़ में 500 पौधे लगाए जाते है.
लागत
इसमें कुल लागत 40 -55 हज़ार तक लगती है.
कमाई
इस पेड़ की कमाई लकड़ी की क्वालिटी पर निर्भर होती है 1 एकड़ में लगे पेड़ कुल एक करोड़ की कमाई करते है.
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मनीशा शर्मा, कृषि जागरण