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Updated on: 20 May, 2024 12:00 AM IST
काजू -बादाम से भी महंगी बिकती है यह सब्जी - (Picture Credit - Specialty Produce)

Sangri Cultivation: सांगरी एक सब्जी है, जो रेतीले व सूखे इलाकों में उगती है. यह सब्जी बरसात के दिनों में तेजी से बढ़ने लगती है. इस सब्जी को कैर के साथ मिलाकर बनाया जाता है, जिससे इसे कैर-सांगरी सब्जी के नाम से पहचाना जाता है. कैर-सांगरी को सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है. इस सब्जी की डिमांड हमेशा ही रहती है और इसकी कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कीमत 1000 रुपये किलोग्राम होती है. लेकिन इस बार बैमौसम की बारिश की वजह से सांगरी की बहुत कम पैदावार हुई है, जिससे इसकी कीमत में भी बढ़ोतरी हुई है. आमतौर पर काजू-बादाम का भाव 800 रुपये किलोग्राम के आसपास रहता है, जबकि सांगरी की कीमत प्रति किलोग्राम 1200 से 1400 रुपये होती है.

आइये कृषि जागरण के इस आर्टिकल में जानें, सांगरी क्या है और इसके अच्छे उत्पादन के लिए क्या करना चाहिए.

सांगरी क्या है?

सांगरी एक फली है, जो खेजड़ी के पेड़ से प्राप्त होती है. खेजड़ी सूखे इलाकों में उगने वाला एक पौधा है, इसलिए इसकी सबसे अधिक तादाद राजस्थान में पाई जाती है. ताजा सांगरी का उपयोग सब्जी बनाने के लिए किया जाता है. इन्हें सूखाकर भंडारित भी किया जा सकता है, जिससे साल भर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. सांगरी की सब्जी कैर के साथ भी बनाई जाती है और इसे पंचकुटा सब्जी के साथ भी बनाया जाता है. पंचकुटा सब्जी को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली हुई है और इसे फाइव स्टार होटलों में भी परोसा जाता है. इस सब्जी को बनाने के लिए सांगरी के साथ चार तरह सब्जियों भी जरूरत होती है, जिसमें कैर, कुमटिया, गोंदा और साबुत लाल मिर्च शामिल है.

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सांगरी में पाए जाने वाले पोषक तत्व

सांगरी में कई तरह के पोषक तत्व मौजूद होते है, जो स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक माने जाते हैं. सांगरी में प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, फाइबर, आयरन और जिंक अधिक मात्रा में पाए जाते हैं. सांगरी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होन के साथ-साथ खाने में काफी स्वादिष्ट लगती है. लोगों के बीच इस सब्जी की अधिक डिमांड कोरोना काल के बाद से काफी बढ़ी है, क्योंकि इसके पोषक तत्व इम्यूनिटी पावर बढ़ाने में मददगार माने जाते हैं.

सांगरी की खेती कैसे की जाती है?

सांगरी एक ऐसी सब्जी है जिसकी खेती नहीं करनी पड़ती है, क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से उगती है. इसकी फसल के लिए किसी प्रकार के कीटनाशक या दवा की आवश्यकता नहीं होती है और ना ही खाद चाहिए होती है. यह सब्जी खेजड़ी के पेड़ पर स्वाभाविक रूप से उगती है. लेकिन मार्केट में इसकी तेजी से बढ़ती मांग को देखकर कई किसान सांगरी की खेती करने लगे हैं. इसकी खेती के लिए अधिकतर किसान खास तकनीक का उपयोग करते हैं. खेजड़ी की बागवानी ग्राफ्टेड विधि के साथ की जाती है.

किसान खेजड़ी के पेड़ की बुवाई अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों के साथ कर सकते हैं. इसके बीजों का अंकुरण होने पर तैयार हुए पौधे के आसपास के खेतों में खेजड़ी के पेड़ की टहनी को तोड़कर बीज वाले पौधों में बडिंग कर लेनी चाहिए. बता दें, खेजड़ी की बुवाई करने के लिए तीन साल बाद जब इसका पौधा 4 से 5 फीट लंबा हो जाता है, तो इसके पौधे से उत्पादन शुरू हो जाता है.

सांगरी की खेती से मुनाफा

खेजड़ी के पौधे से ही सांगरी प्राप्त की जाती है, इसे बेचकर किसान 1000 से 1200 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से प्राप्त कर सकते हैं. इसके अलावा, किसान खेजड़ी के पेड़ से प्राप्त होने वाली लूंग और लकड़ियों को बेचकर भी कमाई कर सकते हैं. किसान एक बीघा में 65 ग्राफ्टेड खेजड़ी के पौधे लगाकर हर साल लगभग 6 क्विंटल सांगरी, 40 क्विंटल लूंग और काफी अच्छी खासी मात्रा में इसकी लकड़ी का उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.

English Summary: sangri cultivation will earn bumper do khejri gardening
Published on: 20 May 2024, 03:48 IST

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