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Updated on: 1 February, 2025 12:00 AM IST
केले की फसल के लिए बेहद खतरनाक है पनामा विल्ट रोग (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Panama wilt disease: बिहार में केले की खेती की अपार संभावनाएँ हैं, किंतु इसके सतत उत्पादन और उत्पादकता वृद्धि में सबसे बड़ी बाधा पानामा विल्ट/फ्यूजेरियम विल्ट नामक घातक रोग है. यह बीमारी Fusarium oxysporum f.sp. cubense नामक मृदाजनित कवक के कारण होती है, जो पौधों की संवहनी ऊतकों (vascular tissues) को प्रभावित कर पौधे को पूर्णतः नष्ट कर देती है. 

बिहार में पानामा विल्ट का प्रकोप और प्रभावित प्रजातियां

इस रोग से मुख्य रूप से लंबी प्रजातियों के केले प्रभावित होते हैं. बिहार में इसकी एक महत्वपूर्ण किस्म मालभोग विलुप्ति के कगार पर है, जिसमें यह रोग 64% तक पाया गया है. इसके अलावा अन्य लंबी प्रजातियों में भी यह रोग व्यापक रूप से फैल चुका है— 

No.

प्रजाति

संक्रमण प्रतिशत (%)

1

अल्पान

16%

2

चम्पा

28%

3

चीनी चम्पा

32%

4

कन्थाली

30%

5

कोठिया

26%

चौंकाने वाली बात यह है कि अल्पान और कोठिया, जिन्हें अन्य राज्यों में इस रोग के प्रति रोगरोधी माना जाता था, बिहार में भी इस रोग की चपेट में आ चुकी हैं. 

इसके अलावा, बिहार में बौनी प्रजातियों बसराइ, रोबस्टा और ग्रैंड नैन में भी यह रोग एक नए प्रकार के TR4 (Tropical Race 4)के कारण उग्र रूप से फैल रहा है— 

No.

बौनी प्रजाति

संक्रमण प्रतिशत (%)

1

बसराइ

36%

2

ग्रैंड नैन

46%

3

रोबस्टा

40%

नव विकसित प्रबंधन तकनीक

अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (फल) एवं डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा द्वारा इस घातक रोग के प्रबंधन हेतु विज्ञान-आधारित प्रभावी तकनीक विकसित की गई है. 

रोग के प्रबंधन हेतु अनुशंसित उपाय

  1. रोगमुक्त प्रकंद (sucker)/ ऊतक संवर्धन से तैयार पौध का चुनाव करें : रोपण से पहले रोगग्रस्त पौधों को खेत से हटाना अनिवार्य है.
  2. गड्ढे की तैयारी: रोपण से पूर्व गड्ढे में 250 ग्राम नीम खली या वर्मी कम्पोस्ट डालें.
  3. प्रकंद उपचार: रोपण से पूर्व प्रकंदों को 0.2% कार्बेन्डाजिम के घोल में 30 मिनट तक डुबोकर उपचारित करें.
  4. फील्ड उपचार: रोपण के 2, 4 एवं 6 महीने बाद 0.2% कार्बेन्डाजिम घोल से मिट्टी को अच्छी तरह भिगोएँ. 3, 5 एवं 7 महीने बाद 2% कार्बेन्डाजिम घोल (30 ml) का इंजेक्शन दें.
  5. रोग नियंत्रण की सफलता: Race 1 एवं Race 2 के कारण होने वाले पानामा विल्ट रोग में 88% तक कमी दर्ज की गई. Tropical Race 4 (TR4) के नियंत्रण में यह तकनीक पूरी तरह प्रभावी नहीं रही, लेकिन रोग को बहुत हद तक कम करने में सफल रही.

राष्ट्रीय स्तर पर तकनीक का परीक्षण एवं प्रभावशीलता

इस तकनीक का प्रभावशीलता परीक्षण भारत के विभिन्न अनुसंधान केंद्रों पर किया गया, जिनमें शामिल हैं— 

  • पूसा (बिहार)
  • कोयम्बटूर (तमिलनाडु)
  • जोरहाट (असम)
  • कन्नारा (केरल)
  • मोहनपुर (पश्चिम बंगाल)
  • कोवूर (आंध्र प्रदेश) - इस केंद्र पर तकनीक प्रभावी नहीं पाई गई.

अधिकांश केंद्रों पर यह तकनीक रोग नियंत्रण में अत्यधिक प्रभावी सिद्ध हुई और केले की पैदावार में महत्वपूर्ण सुधार दर्ज किया गया. 

English Summary: Panama wilt disease is dangerous for banana crops manage
Published on: 01 February 2025, 06:01 IST

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