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Updated on: 16 February, 2018 12:00 AM IST
Crop Protection Tips

आधुनिक युग में कीटनाशकों का नाम मात्र भी इस्तेमाल न करते हुए खेतीबाड़ी करना थोड़ा कठिन है, लेकिन देशी तरीकों से खेतीबाड़ी में खर्च भी बहुत कम आता है. 

यह देशी चीजें आप को आपके इर्द–गिर्द ही मिल जाती हैं, बगैर किसी भाग दौड़ के, चाहे आप की फसल सब्जी की हो या अनाज की फसल हो,बगैर किसी रसायन के तैयार की जा सकती है. जिससे मानव जीवन पर कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होता है, तथा उसकी कीमत भी रासायनिक फसलों से ज़्यादा मिलती है.

सफ़ेद फिटकरी (White alum)

जब भी कोई फसल ऊपर से लेकर नीचे तक सूखने लगती है, तो समझना चाहिए कि इसकी जड़ों पर फफूंद का हमला हो चुका है.

इससे बचने के लिए खेत में पानी लगाते समय ट्यूबवेल के गड्ढे में 1 किलो ग्राम सफ़ेद फिटकरी का टुकड़ा रख दें और पानी देना शुरू कर दें. वह फिटकरी युक्त पानी पौधों कि जड़ों में लग जाएगा तथा पौधे पुनः स्वस्थ हो जाएंगे.

उपले की राख तथा बुझा चूना (Cow ash and slaked lime)

उपले या चूल्हे कि राख तथा बुझा चूना, एक किलो ग्राम प्रति 25 लीटर पानी में डाल कर 5-6 घंटे के लिए रख दें, तद्उपरांत इस घोल को जितनी भी बेल (जायद) प्रजाति कि फसलों जैसे:- कद्दू, खीरा, घिया, तोरी आदि पर, इसका छिड़काव करने से लाल सूड़ी, कीड़े-मकौड़ों से छुटकारा मिल जाएगा.

गोमूत्र, जंगली तंबाकू,ऑक, नीम के पत्ते तथा धतूरा (Cow urine, wild tobacco, oak, neem leaves and datura)

किसी भी प्रकार की फसल के लिए कीटनाशक की जगह इन पाँच चीजों (प्रति 500 ग्राम) का घोल बनाकर, इन सभी को 15-20 दिन के लिए एक बर्तन में (चाहे प्लास्टिक का टब या मिट्टी का घड़ा) 20-25 लीटर पानी डाल कर रख देतें हैं. बाद में इस घोल को कपड़े से छान कर किसी भी प्रकार की फसल के लिए कीटनाशक की जगह छिड़काव कर सकतें हैं.

खट्टी लस्सी, गलगल और गोबर के उपले (Sour lassi, galgal and cow dung cakes)

खट्टी लस्सी दो किलो, गलगल (नींबू प्रजाति) एक, गोबर के उपले तीन किलो. उपले जीतने पुरानें होंगे उतना ही अच्छा होगा. इन उपलों को 6 दिन के लिए 10-12 लीटर पानी में डाल कर रख देना चाहिए.

उसके बाद इन उपलों को अलग निकाल दें, और उपले वाले पानी में दो किलो खट्टी लस्सी जो कि 15 दिन पुरानी हो तथा एक गलगल पीस कर या निचोड़ कर सारे घोल को कपड़े से छान कर एक घोल तैयार करके,पीलिया रोग से ग्रसित फसल के ऊपर छिड़काव कर देंगे. कुछ दिनों के बाद फसल का रंग रूप देखने लायक होगा.

लेखक :

1डॉ॰नीलममौर्या,1डॉ॰चन्दन कुमार सिंह,1डॉ॰हादी हुसैन खान, 2डॉ. हुमा नाज़

एवं 1डॉ॰ कृष्णाकुमारी देवी

क्षेत्रीयवनस्पति संगरोध केन्द्र,अमृतसर, पंजाब,भारत

2पादपसंगरोधविभाग, वनस्पतिसंरक्षण, संगरोधएवंसंग्रह, निदेशालय, फरीदाबाद, हरियाणा, भारत

English Summary: Organic Article
Published on: 16 February 2018, 04:10 IST

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