अगर आप भी बागवान हैं और आपने आम के बगीचे लगाए हैं तो आपके लिए यह खबर खास है. इस समय आम की फसल में कीटों और रोगों का प्रकोप तेजी से होता है. ऐसे में बागवान अपनी आम की फसल पर जरूर ध्यान दें और उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करें.
इस मार्च महीने में भी एक खास रोग आम के पेड़ों में लगता है. यह रोग सफेद चूर्णी रोग है. इसे पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery mildew) भी कहते हैं. यह आम की फसल में लगने वाले खतरनाक रोगों में से एक है.
यह पाउडरी मिल्ड्यू रोग मार्च के महीने में, खासकर दूसरे हफ्ते से लगना शुरू हो जाता है. आम के पेड़ों में इस समय बौर (मंजर) आ चुके हैं. ऐसे में फसल की देखभाल करना और भी जरूरी हो गया है.
बागवानों को ऐसी अक्सर शिकायत होती है कि आम में बौर पूरे आने के बाद भी फल अच्छी तरह से नहीं आते हैं, तो इसकी वजह भी ये रोग और कीट हैं. इनसे बौर को अगर नहीं बचाया गया तो इसका उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ता है.
आम पर लगने वाले रोग व उनसे बचाव' (mango farming ) पर बात करते हुए आज हम आपको इसी रोग की जानकारी देने जा रहे हैं. सफेद चूर्णी रोग (पाउडरी मिल्ड्यू) का प्रकोप उस समय भी होता है जब मौसम में बदलाव आना शुरू होता है. साथ ही बारिश के समय में भी यह रोग हो सकता है.
ऐसे प्रभावित होती है फसल (This is how the crop is affected)
इस रोग से प्रभावित हिस्सा सफेद दिखाई देने लगता है जिससे मंजरियां और पत्तियां भूरी पड़कर सूखकर गिरने लगती हैं. इसका असर नए फलों पर भी देखा जा सकता है. संक्रमित बौर और विकसित हो रहे फलों पर फफूंद की सफ़ेद चूर्णिल आवरण दिखाई देने लगती है. सभी बौर आसानी से हाथ से छूने पर भी गिरने लगते हैं.
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रोग प्रबंधन (Disease Management)
इस सफ़ेद चूर्णिल रोग के लक्षण दिखाई देते ही आम के पेड़ों पर बागवान 5 प्रतिशत गंधक के घोल का छिड़काव करें. साथ ही 500 लीटर पानी में 250 ग्राम कैराथेन घोलकर छिड़काव करने से भी इस रोग की चपेट में आने से फसल को बचाया जा सकता है. अगर मौसम असामान्य हो रहा है तो बागवान 0.2 प्रतिशत गंधक के घोल का छिड़काव करें.