मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में फूलों की खेती करने वाले बागवान और किसानों गुलाब,सेवंती,मोगरा कई बीघा जमीन पर उगाते हैं. पिछले साल बारिश ने भीषण तबाही मचाई थी जिसमें फूल किसानों की पूरी फसल बर्बाद हो गई थी. वहीं इस सीजन पर कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन और कर्फ्यू ने एक बार फिर से इनकी पूरी खेती को चौपट कर दिया है। किसानों का कहना है कि उनके फूल भीलवाड़ा, जयपुर, अजमेर आदि बड़े शहरों में जाते थे लेकिन लॉकडाउन की वजह से सब काम बंद हो गया है. फूल खेतों में ही खराब हो गए. नवरात्रि तथा दिवाली पर करोड़ों रुपए का व्यापार होता है लेकिन किसान माल कैसे तैयार करेंगे.
जिन्हें सिर्फ फूल की खेती ही आती है, उनके लिए भारी दिक्कत है. ऐसे में फूल किसानों के साथ इसमें काम करने वाले मजदूरों के सामने भी बड़ा संकट खड़ा हो गया है. किसानों के मुताबिक अगर अनाज होता तो स्टोर करके रख लेते, कभी काम आ जाता लेकिन फूल तो डेकोरेशन का आइटम है जो बहुत जल्दी खराब हो जाता है। शादियों का सीजन, नवरात्रि और रूटीन में भी फूलों का धंधा जोरों पर चलता है, लेकिन इस बार हालत बहुत बुरी है ।
सरकार को किसानों के लिए कोई मुआवजा देना चाहिए
मंदसौर जिले में लगभग 700 एकड़ में फूलों की खेती होती है और लॉकडाउन के चलते सभी फूल किसानों की हालत बद से बदतर होती जा रही है. फ़ूल किसानो को फ़सल को नष्ट करना पड़ रहा है. ज़िले की माटी में होने वाले फूल अन्य ज़िलों के साथ अन्य राज्यों मे भी अपनी ख़ुशबू की महक के लिए जाने जाते हैं। लेकिन वर्तमान में लॉकडाउन में ख़ेत में ही ख़ुशबूदार व महक बिखेरने वाले फूल नष्ट हो रहे हैं । किसानो को भारी नुक़सान हुआ है ,लोन लेक़र फूलों की ख़ेती की है.
मन्दसौर ज़िले में लॉकडाउन के चलते सभी प्रसिद्ध छोटे-बड़े धार्मिक स्थल बन्द होने के कारण भी फूल के व्यापार पर असर पड़ा हैं. किसानों का कहना है कि उन्हें एक माह से ज़्यादा हो गया है, कुछ व्यापार किये हुए. वर्तमान में मांगलिक सीज़न भी पूरी तरह ख़त्म हो गये हैं । लॉकडाउन के कारण पूरे बाज़ार में फूलो की माँग नहीं होने से रौनक ख़त्म हो गई हैं. किसानो के साथ व्यापारियों को भी बड़ा नुकसान हुआ है।
कोरोना वायरस महामारी में लॉक डाउन के चलते ग़रीब मज़दूरो,फूल उत्पादकों, व्यापारियों को काफ़ी मार पड़ी है। लाखों रुपए का नुकसान हुआ है. वहीं इन दिनों कई बड़े त्योहार निकल गए, शादी-ब्याह के ऑर्डर भी कैंसिल हो गए हैं. ऐसे में किसानों को लगभग 60 से 70 लाख का नुकसान हुआ है।