कीवी फल (चायनीज गूजबेरी) का उत्पति स्थान चीन है, विगत कुछ दशकों से ये फल दुनियाभर में लोकप्रिय हो गया है. कीवी फल के लिए न्यूजीलैण्ड प्रसिद्ध है, क्योंकि इस देश ने कीवी फल को व्यवसायिक रूप दिया है नतीजतन उत्पादन व निर्यात न्यूजीलैंड में बहुत अधिक है. कीवी फल भारत में 1960 में सबसे पहले बंगलौर में लगाया गया था लेकिन बंगलौर की जलवायु कीवी फल की अनुकूल न होने के कारण सफलता नहीं मिली. वर्ष 1963 में राष्ट्रीय पादप अनुवांशिक संसाधन ब्यूरो, क्षेत्रीय संस्थान के शिमला स्थित केन्द्र फागली में कीवी की सात प्रजातियों के पौधे मंगवा कर लगाये गये जहां पर कीवी के इन पौधों से सफल उत्पादन प्राप्त किया गया.
कीवी फल के सेवन से होने वाले लाभ
कीवी फल अत्यन्त स्वादिष्ट एवं पौष्टिक है. इस फल में विटामिन C काफी अधिक मात्रा में पाया जाता है तथा इसके अतिरिक्त इस फल में विटामिन B, फास्फोरस, पौटिशयम व कैल्शियम तत्व भी अधिक मात्रा में पाये जाते हैं डेंगू बुखार होने पर कीवी खाने की सलाह दी जाती है.
कीवी फल की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
किवी फल पर्णपाती पौधा है तथा यह उत्तराखंड राज्य में मध्यवर्ती क्षेत्रों में 600 से 1500 मीटर की उँचाई तक सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है. कीवी में फूल अप्रैल माह में आते हैं और उस समय पाले का प्रकोप फल बनने में बाधक होता है. अतः जिन क्षेत्रों में पाले की समस्या है वहां इस फल की बागवानी सफलतापूर्वक करने में दिक्कत आती है, वे क्षेत्र जिनका तापमान गर्मियों में 35 डिग्री से कम रहता है तथा तेज हवायें चलती हो, लगाने के लिए उपयुक्त हैं. कीवी के लिए सूखे महिनों मई-जून और सितम्बर अक्टूबर में सिंचाई का पूरा प्रबन्ध होना चाहिए.
कीवी की किस्में (Varieties of kiwi)
किवी फल में नर व मादा दो प्रकार की किस्में होती है. एलीसन, मुतवा एवं तमूरी नर किस्में है. एवोट, एलीसन, ब्रूनों, हैवर्ड एवं मोन्टी मुख्य मादा किस्में है. इनमें हैवर्ड न्यूजीलैण्ड की सबसे अधिक उन्नत किस्में है. एलीसन व मोन्टी जिसकी मिठास सबसे अधिक है उपयुक्त पाई गई है.
रेखांकन एवं पौध रोपण
• पौध लगाने से पहले खेत में रेखांकन करें. कीवी के पौधे 6 x 3 मीटर यानि लाइन से लाइन की दूरी 3 मीटर तथा लाइन में पौध से पौध की दूरी 6 मीटर रखें.
• 1x1x1 मीटर आकार के गड्ढे तथा स्थान गर्मियों में खोदकर 15 से 20 दिनों के लिए खुला छोड़ देना चाहिए ताकि सूर्य की तेज गर्मी से कीड़े मकोड़े मर जायें.
• गड्ढा खोदने समय पहले ऊपर की 6″ तक की मिट्टी खोद कर अलग रख लेते हैं इस मिट्टी में जीवांश अधिक मात्रा में होता है गड्ढे भरते समय इस मिट्टी को पूरे गड्ढे की मिट्टी के साथ मिला देते हैं इसके बाद एक भाग अच्छी सड़ी गोबर की खाद या कम्पोस्ट जिसमें ट्रायकोडर्मा मिला हुआ हो को भी मिट्टी में मिलाकर गढ्ढों को जमीन की सतह से लगभग 20 से 25 से॰मी॰ ऊंचाई तक भर देना चाहिए ताकि पौध लगाने से पूर्व गढ्ढों की मिट्टी ठीक से बैठ कर जमीन की सतह तक आ जाये.
• पौधों को शीतकाल के उपरान्त जनवरी-फरवरी या बसंत ऋतु के शुरू में लगाया जाता है.
• पौधों को भरे हुए गड्ढौं के बीच में लगायें पौधे की चारों ओर की मिट्टी भली भांति दबायें पौध लगाने पर सिंचाई अवश्य करें.
• कीवी के पौधे एक लिंगी होते हैं जिसमें मादा और नर फूल अलग-अलग पौधों पर आते हैं इसलिए यह आवश्यक है कि मादा पौधों की एक निश्चित संख्या के बीच में परागण हेतु एक नर पौधा भी लगा हो इसके लिए 1:6 1:8 या 1:9 के अनुपात से पौधों को लगाना चाहिए.
नर और मादा पौधों की रोपण योजना
मादा पौधा- O
नर पौधा – X
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खाद एवं उर्वरक
किवी फल के पौधों की वृद्धि और उत्पादन उर्वरकों की सही मात्रा पर निर्भर करता है.
सिंचाई का तरीका
सूखे महिनों मई-जून और सितम्बर अक्टूबर में सिंचाई का पूरा प्रबन्ध होना चाहिए. अगर इस समय सिंचाई न हो तो पौधों की वृद्धि तथा उत्पादन पर प्रभाव पड़ता है.
कीवी की उपज और कीमत
आमतौर पर 10 से 12 साल के बाद एक पेड़ से 1 कुंतल तक कीवी की पैदावार होती है. अगर साइज के हिसाब से छोटे कीवी को अलग कर दिया जाए तो भी 60 किलो कीवी मिल जाता है. कीवी की बाजार में कीमत तकरीबन 160 रुपए होती है. ऐसे में औसतन एक पेड़ से 9 हजार से ज्यादा रुपए मिल जाता है. बता दें कि 1 हेक्टेयर में तकरीबन 125 पौध लगते हैं.
फलों की तुड़ाई उपज व विपणन
कीवी के फलों की उपज औसतन 50-100 कि॰ग्रा॰ प्रति पौधा पायी गयी है. फलों को सही परिपक्व स्थिति पर ही तोड़ना चाहिए जो कि अक्टूबर-नवम्बर में आती है. जिस समय किवी फल तैयार होता है, उन दिनों बाजार में ताजे फलों के अभाव के कारण किसान काफी आर्थिक लाभ उठा सकता है. इसे शीतगृहों मे 4 महीने तक आसानी से सुरक्षित रखा जा सकता है. फलों को दूर भेजने में भी कोई हानि नहीं होती, क्योंकि कीवी के फल अधिक टिकाऊ है.
कीवी की बागवानी पर सब्सिडी (subsidy on Kiwi horticulture)
राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड 74/B फेज 2, पंडित वारी,राजपुर रोड, देहरादून. फोन नंबर- 01352774272, 01352762767, यहां से आप प्रोजेक्ट बनवा कर 40% का अनुदान ले सकते हैं. उद्यान विभाग प्रोजेक्ट पूरा होने पर 20% का अतिरिक्त अनुदान देता है. इसके अलावा कीवी की बागवानी से संबंधित उद्यान पंडित कुन्दन सिंह पंवार से तकनीकी जानकारी ले सकते हैं. मोबाइल नंबर- 7895895675