New Disease In Banana Crop: भारत में केले की फसल के लिए यह रोगजनक नया है, यह बीमारी नई है, बहुत जानकारी उपलब्ध नहीं है. यह बीमारी एक फफूंद जिसका नाम Pyricularia angulata द्वारा उत्पन्न होता है. इस बीमारी का नाम केला का पीटिंग एवं ब्लास्ट रोग है. देश में केरल, बिहार और गुजरात के समेत कई राज्यों में यह बीमारी रिपोर्ट की गई है. इस बीमारी के लगने पर केला के परिपक्व पत्तियों, मिड्रिब, पेटीओल, पेडुनेकल और फलों के ऊतक पर लक्षण दिखाई देते हैं.
पीटिंग एवं ब्लास्ट रोग के लक्षण
गाजीपुर उत्तर प्रदेश में लगभग 50 एकड़ क्षेत्रफल में इस रोग का प्रकोप देखने को मिला है. यह समय इस बीमारी का संक्रमण 5 से लेकर 45 प्रतिशत तक देखने को मिल रहा है. केला उत्पादक किसानों के मध्य इस बीमारी को लेकर घोर निराशा का भाव है. केला के तैयार बंच के ऊपर धसे हुए गढ्ढो जैसे निशान की वजह से बाजार मूल्य बहुत कम मिल रहा है. केला देखने में भद्दा दिख रहा है. केला को तोड़ने के बाद देखने पर बीच का हिस्सा काला पड़ जाता है. देखने में भद्दा दिखाने की वजह से केला को औने पौने दामों पर बेचने को बाध्य है.
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पीटिंग एवं ब्लास्ट रोग के कारण
यह बीमारी पहली बार देखने को मिल रही है,जिसका मुख्य कारण अत्यधिक वर्षा, वातावरण में भारी नमी एवं खेत में अभी भी पानी का लगा होना मुख्य है. घने केले के बाग में यह रोग उग्र अवस्था में देखने को मिल रहा है. नई बीमारी होने की वजह से कृषि प्रसार में जुड़े कर्मी भी कुछ बता पाने में असमर्थ है.
पिटिग एवं ब्लास्ट रोग का प्रबंधन
केला को हमेशा सस्तुति दूरी पर ही लगाए. केले के मुख्य तने के आस पास बगल में निकल रहे साइड सकर्स को समय समय काट काट बाग से बाहर निकलते रहें. जिससे बाग घना होने से बचा रहे, अन्यथा बाग के घना होने से बाग में आद्रता बहुत बढ़ जाती है, जो रोग के बढ़ने में सहायक होता है. समय समय पर सुखी एवं रोग ग्रस्त पत्तियों को काट कर बाग से निकलते रहना चाहिए जिससे रोग के निवेशद्रव्य में भारी कमी आती है. खेत में जल निकास अच्छा होना चाहिए, जिससे आवश्यकता से अधिक पानी तुरंत खेत से बाहर निकल जाए.
इन दवाओं का करें उपयोग
इस बीमारी के प्रबंधन के लिए Nativo /Caprio/Opera में से किसी फफुंदनाशक की 1 ग्राम मात्रा/लीटर पानी में घोलकर बंच के पूरी तरह निकल जाने के बाद 15 दिन के अंतराल पर दो छिड़काव करें. यदि उस क्षेत्र में रोग की उग्रता ज्यादा हो तो बंच निकलने के ठीक पहले भी एक छिड़काव करें. कॉपर ऑक्सीक्लोराइड या मैनकोजेब की 2ग्राम मात्रा/लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से इस रोग की उग्रता में कमी आती है.