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Updated on: 29 October, 2024 12:00 AM IST
लाल केले की खेती, सांकेतिक तस्वीर

Lal kele ki Kheti: केले भारत में सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से खाए जाने वाले फलों में से एक हैं और विशेष रूप से लाल केले ने अपने अनोखे स्वाद और स्वास्थ्य लाभों के कारण प्रसिद्धि प्राप्त की है. भारत में लाल केले की खेती बढ़ रही है. उपरोक्त गुणों के मद्दे नजर बिहार में इसकी खेती पर पहली बार अनुसंधान, अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के अंतर्गत डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा ,समस्तीपुर में शुरू किया गया,जिसका प्रमुख उद्देश्य यह जानना था की बिहार की कृषि जलवायु इसके लिए उपयुक्त है की नहीं, इसे लगाने का सर्वोत्तम समय क्या है? इसमें कौन कौन से रोग एवं कीड़े लगते हैं, उन्हे कैसे प्रबंधित किया जा सकता है, उपज छमता संतोषप्रद है की नहीं, इत्यादि विभिन्न प्रश्नों के उत्तर के लिए केला की खेती जून, 2022 में शुरू किया गया.

लाल केला के ऊत्तक संवर्धन द्वारा तैयार पौधों को दक्षिण भारत में 20 जून से पंद्रह पंद्रह दिन के अंतराल पर 15 सितंबर,2022 तक विभिन्न तिथियों पर इसकी रोपाई की गई. इस प्रकार से लगाए गए लाल केले में फूल 12 महीने के बाद आना शुरू हुआ एवं कटाई 15 महीने में हो गई. एक जगह पर तीन फसल लेने के उपरांत विस्तृत पैकेज एवं प्रैक्टिसेज से अवगत कराया जायेगा. द्वितीय फसल से सम्पूर्ण बंच की कटाई हो चुकी है. बिहार की कृषि जलवायु में लाल केला से संबंधित अनुसंधान के शुरुआती परिणाम अति संतोष प्रद रहे.

जलवायु और मिट्टी की आवश्यकताएं

लाल केले उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में पनपते हैं. भारत में, वे मुख्य रूप से गर्म और आर्द्र मौसम की स्थिति वाले राज्यों में उगाए जाते हैं. ये परिस्थितियाँ लाल केले के पौधों की वृद्धि के लिए अनुकूल हैं, जो अत्यधिक ठंड के प्रति संवेदनशील हैं. उन्हें अच्छी कार्बनिक सामग्री वाली अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है. लाल केले की खेती के लिए बलुई दोमट और चिकनी दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है.

लाल केले का रोपण

लाल केले के पौधों को ऊत्तक संवर्धन एवं सकर्स के माध्यम से लगाया जा सकता है. सकर्स से लगाना हो तो इसकी लंबाई लगभग 1-2 फीट होनी चाहिए और उनकी जड़ प्रणाली स्वस्थ होनी चाहिए. इन्हें लगभग 2-3 इंच की गहराई पर लगाया जाता है. उचित विकास के लिए पौधों के बीच की दूरी लगभग 6-9 फीट होनी चाहिए.

उर्वरक

लाल केले की खेती के लिए उर्वरक महत्वपूर्ण है. रोपण के समय मिट्टी में जैविक खाद या अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद मिलानी चाहिए. इसके अतिरिक्त, इष्टतम विकास के लिए संतुलित एनपीके (नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम) उर्वरक की सिफारिश की जाती है. पौधे के विकास के विभिन्न चरणों के दौरान उर्वरकों को विभाजित खुराकों में लगाया जाना चाहिए.

सिंचाई

लाल केले को लगातार और पर्याप्त सिंचाई की आवश्यकता होती है. मिट्टी को नम रखने के लिए नियमित अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए, लेकिन जलभराव नहीं होना चाहिए. ड्रिप सिंचाई एक पसंदीदा तरीका है क्योंकि यह कुशल जल वितरण सुनिश्चित करता है और पानी की बर्बादी को रोकता है.

कीट एवं रोग प्रबंधन

लाल केले के पौधे विभिन्न कीटों और बीमारियों के प्रति संवेदनशील होते हैं, जैसे कि केला घुन, एफिड्स. फसल की सुरक्षा के लिए नियमित निगरानी और उचित कीटनाशकों या जैविक कीट नियंत्रण विधियों का उपयोग आवश्यक है.

छंटाई और डी-सकरिंग

बेहतर वातायन और सूर्य के प्रकाश के प्रवेश को सुविधाजनक बनाने के लिए मृत पत्तियों और अनावश्यक पौधों के हिस्सों को हटाना छंटाई है. डी-सकरिंग में मुख्य पौधे के आसपास विकसित होने वाले अतिरिक्त सकर को हटाना शामिल है. यह पौधे की ऊर्जा को फल उत्पादन में लगाने में मदद करता है.

कटाई

लाल केले की कटाई आमतौर पर तब की जाती है जब फल पूरी तरह से परिपक्व हो जाता है और रंग बदलना शुरू कर देता है. बिहार के कृषि जलवायु में देखा गया की उत्तक संवर्धन द्वारा लगाए गए लाल केले में फूल लगभग 12 महीने में आया एवं परिपक्व केले की कटाई 15 महीने में किया गया. नुकसान से बचने के लिए फलों की कटाई सावधानी से करनी चाहिए. एक बार तोड़ने के बाद, फल को धीरे से संभालना चाहिए क्योंकि लाल केले की त्वचा नाजुक होती है.

कटाई के बाद का रख रखाव

कटाई के बाद, परिवहन के दौरान क्षति को रोकने के लिए लाल केले को साफ किया जाना चाहिए और सावधानीपूर्वक पैक किया जाना चाहिए. कटाई के बाद उचित रखरखाव यह सुनिश्चित करता है कि फल अच्छी स्थिति में बाजार तक पहुंचे.

बाज़ार और निर्यात

लाल केले ने न केवल घरेलू बाजारों में बल्कि निर्यात बाजार में भी लोकप्रियता हासिल की है. संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब और यूनाइटेड किंगडम जैसे देश भारतीय लाल केले का आयात करते हैं. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सफलता के लिए उचित पैकेजिंग, गुणवत्ता नियंत्रण और निर्यात नियमों का पालन आवश्यक है.

लाल केले की खेती में चुनौतियां

हालांकि भारत में लाल केले की खेती की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन इसके साथ कई चुनौतियां भी आती हैं. इनमें कीट और रोग प्रबंधन, मौसम के पैटर्न में उतार-चढ़ाव, बाजार की मांग और कृषि कार्यों के लिए कुशल श्रमिकों की आवश्यकता शामिल है. इन चुनौतियों से पार पाने के लिए किसानों को ज्ञान और संसाधनों से लैस होने की जरूरत है.

भविष्य की संभावनाएं

शुरुआती अनुसंधान के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बिहार में लाल केले की खेती का भविष्य आशाजनक है. लाल केले के स्वास्थ्य लाभों के बारे में बढ़ती जागरूकता के साथ, इस फल की मांग बढ़ रही है. इसके अतिरिक्त, सरकार और कृषि अनुसंधान संस्थान केले की खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाओं और पहलों के माध्यम से किसानों को सहायता प्रदान कर रहे हैं.

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English Summary: Bihar farmers method for good Production red banana cultivation
Published on: 29 October 2024, 03:34 IST

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