आम को 'फलों का राजा' कहा जाता है. भारत में इसकी खेती लगभग 2258 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में होती है, जिससे 21822 हजार मीट्रिक टन उत्पादन प्राप्त होता है. भारत में आम की औसत उत्पादकता 9.7 टन प्रति हेक्टेयर है, जबकि बिहार में यह 16.37 टन प्रति हेक्टेयर है, जो राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है. आम के बागों में मंजर आने से पूर्व (दिसंबर-जनवरी) का समय अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दौरान किया गया बाग प्रबंधन यह तय करता है कि पेड़ों पर कितने फल लगेंगे और उनकी गुणवत्ता कैसी होगी.
आम की खेती/Aam ki kheti की लाभप्रदता मुख्य रूप से समय पर किए गए कृषि कार्यों पर निर्भर करती है. इस आलेख का उद्देश्य आम उत्पादकों को वैज्ञानिक और प्रायोगिक सुझाव देना है, जिससे वे अपनी फसल की उत्पादकता, गुणवत्ता और लाभ में वृद्धि कर सकें.
अच्छी उपज के लिए आवश्यक प्रबंधन कार्य
1. डाई-बैक रोग का प्रबंधन
जहां डाई-बैक रोग के लक्षण दिखें, वहां प्रभावित शाखा को सूखे भाग से 5-10 सेमी हरे हिस्से तक काटें. कटाई के तुरंत बाद कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (@3 ग्राम प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें. 10-15 दिन के अंतराल पर पुनः छिड़काव करें.
2. गमोसिस रोग का प्रबंधन
प्रभावित क्षेत्र को साफ करें और बोर्डो पेस्ट लगाएं या प्रति पेड़ 200-400 ग्राम कॉपर सल्फेट का मुख्य तने पर उपयोग करें.
3. जुताई और खरपतवार नियंत्रण
दिसंबर माह में हल्की जुताई करें और बाग को खरपतवार रहित बनाएं. इससे कीटों के अंडे, लार्वा और अन्य हानिकारक अवस्थाएं नष्ट हो जाती हैं.
4. मीली बग का नियंत्रण
पेड़ों पर 25-30 सेमी चौड़ी अल्केथेन शीट (400 गेज) लगाएं. शीट के निचले हिस्से पर ग्रीस लगाएं ताकि मीली बग ऊपर न चढ़ सके. मिट्टी में कार्बोसल्फान (@1 मिली प्रति 100 लीटर पानी) या क्लोरपायरीफॉस ग्रेन्यूल्स (@250 ग्राम प्रति पेड़) का छिड़काव करें. भारी संक्रमण की स्थिति में प्रोफोफोस 50 ईसी (@2 मि.ली. प्रति लीटर), डिक्लोरवोस 76 ईसी (@2 मि.ली. प्रति लीटर), या एसीफेट 75 एसपी (@2 ग्राम प्रति लीटर) का छिड़काव करें.
5. छाल खाने वाले कीट और तना छेदक कीट का प्रबंधन
तनों में छेदों की पहचान करें और उन्हें डाइक्लोरवोस या मोनोक्रोटोफॉस (@1 मिली प्रति 2 लीटर पानी) से उपचारित करें. कीटनाशक डालने के बाद छिद्रों को वैक्स या गीली मिट्टी से बंद करें.
7. पुष्प मिज और प्रारंभिक बौर प्रबंधन
जनवरी माह में यदि बौर जल्दी निकल आए तो उसे तोड़ देना चाहिए.पुष्प मिज के प्रकोप की स्थिति में क्विनालफास (@1 मि.ली. प्रति लीटर) या डाइमेथोएट (@1.5 मि.ली. प्रति लीटर) का छिड़काव करें.
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विशेष सुझाव
बाग में नमी बनाए रखें, लेकिन अनावश्यक सिंचाई से बचें.फसल अवशेष और खरपतवार हटाएं तथा उन्हें जला दें. सभी कृषि कार्य समयबद्ध तरीके से करें. इन सिफारिशों का पालन करके आम उत्पादक अपनी फसल की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं. बाग का प्रबंधन सही समय पर और वैज्ञानिक तरीके से किया जाए तो यह उद्यम अत्यधिक लाभकारी हो सकता है.