प्रजातियां
विश्व में अमरूद की बहुत सी प्रजातियां पाई जाती है, लेकिन भारत में इलाहाबादी सफेदा, लखनऊ -49, एप्पल कलर ग्वावा, इलाहाबादी सुरखा अपने अपने स्वाद एवं फलत के लिए खास प्रचलित हैं.
ऐसे करें खेती की तैयारी
इस पौधें को रोपना आसान है. आपको बस सबसे पहले रोपाई हेतु 60 सेमी चौड़ाई, 60 सेमी लम्बाई एवं 60 सेमी गहराई के गड्ढे तैयार करने है. उसके बाद 20-25 किग्रा सड़ी गोबर की खाद के साथ 250 ग्राम सुपर फास्फेट एवं 45-50 ग्राम फालीडाल धूल ऊपरी मिट्टी में मिलाना है. इसके बाद गड्ढों को भरते हुए पौधों की पिंडी को ध्यान में रखते हुए गड्ढों को खोदकर उसमें हल्की सिंचाई करनी है.
जल प्रबंधन
अमरुद की खेती करते समय सिंचाई का ध्यान रखना आवश्यक है. अगर पौधा छोटा है तो सिंचाई शरद ऋतु में 15 दिन के अंतराल पर करना सही है, लेकिन अगर आपके क्षेत्र में गर्मी अधिक है तो 7 दिनों के अंतराल पर आवश्यकतानुसार सिंचाई करें.
ऐसे रोकें खरपतवार
अमरुद के उत्पादन के शुरू में मुख्य तना में जमीन से 100 सेमी की ऊंचाई तक किसी तरह की शाखा ना निकलने दें. इसके बाद तीन या पांच शाखायें बढऩे दी जा सकती है. आप प्रति दूसरे या तीसरे साल ऊपर से टहनियों को काटकर पेड़ों की ऊंचाई नियंत्रित कर सकतें हैं.
फसल कटाई का सही समय एवं तरीका.
अमरूद के फलों की करते समय जल्दबाज़ी ना करें. तुड़ाई करते समय कैंची का प्रयाग करना सही है. सबसे पहले आप थोड़ी सी डंठल एवं एक दो पत्ते सहित अमरूद को काटें. तुड़ाई तीन दिन के अंतराल पर करना सही है.