एरेका पाम पौधा जितना दिखने में सुंदर होता है उतना ही सेहत के लिए भी फायदेमंद है. क्योंकि ये एयर प्यूरीफायर के तौर पर काम करता है अगर किसी को सांस की तकलीफ है तो एरेका पाम घर के गमले में लगाया जा सकता है.
जैसा की सभी जानते हैं कि शुष्क यानी ड्राई हवा में सांस लेने से आंखों में खुजली, त्वचा में जलन, सूखापन, गले में खराश और जोड़ों के आसपास जकड़न हो सकती है साथ ही अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी सांस की बीमारियों हो सकती हैं ऐसे में एरेका पाम का पौधा लोगों के लिए अच्छा विकल्प साबित होता है. यह घर से जहरीली हवाओं को दूर करने और ऑक्सीजन प्रोड्यूस करने के लिए जाना जाता है इसे व्यापारिक तौर पर भी लगाया जा सकता है जानिए एरेका पाम लगाने का तरीका
तापमान- एरेका पाम के लिए आदर्श तापमान 15-25 डिग्री सेल्सियस होता है. तापमान बहुत ज्यादा कम होने या बहुत ज्यादा तापमान होने पर पौधे को घर के अंदर रख सकते हैं.
मिट्टी का चयन- एरेका पाम का पौधा लगाने के लिए साधारण मिट्टी और बलुई मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है.
एरेका पाम लगाने का तरीका- सबसे पहले एक बड़े साइज़ का गमला लें क्योंकि यह 1 से 2 साल में फैलकर बड़ा होता है, अब 50% साधारण मिट्टी, 30% बालू या कोकोपीट और 20% जैविक खाद मिलाएं. फिर एरेका पाम का नया पौधा नर्सरी से खरीदें या किसी पुराने पौधे से भी तैयार कर सकते हैं. एरेका पाम के पुराने पौधे को जड़ सहित निकालकर पहले तो झाड़ लें, फिर जड़ को 2 से 3 भाग में पत्तियों सहित अलग कर लें इसके हर भाग को अलग-अलग लगा सकते हैं. अब अलग किए हिस्से की जड़ को पानी भरें बाल्टी/बर्तन में एक घंटे डुबाकर रखें फिर नए गमले में लगा सकते हैं, नया पौधा लगाकर तुरंत पानी देना चाहिए.
बीज के एरेका पाम लगाने का तरीका- नर्सरी में बीज से नया पौधा तैयार कर सकते हैं, बीज खरीदी के बाद बीज को 24 घंटे पानी में भीगने रख दें, इसके बाद जमीन में एक इंच गहराई में बीज बो दें गमले को बाहर किसी छांव वाली जगह रखना चाहिए जहां रोशनी हो लेकिन सीधी धूप न मिले. अब 4 से 6 हफ्ते में एरेका पाम के बीज अंकुरित होकर निकल आएंगे.
सूरज की रोशनी- एरेका पाम को ऐसी जगह रखना चाहिए जहां सूरज की तीखी धूप दिन भर न लगे इस पौधे को धूप तो चाहिए होती है लेकिन सीधी नहीं. पौधे को छांव वाली जगह कमरे में खिड़की के पास, पोर्च के नीचे घर के अंदर रख सकते हैं अगर बाहर रखना है तो ऐसी जगह रखें जहां दिनभर में 4 से 5 घंटे ही धूप लगे.
खाद रसायन- साल में एक बार ऊपर से 2 इंच मिट्टी निकाल कर उसमें बराबर मात्रा में कम्पोस्ट मिलाकर दुबारा गमलों में डालना चाहिए. इसके अलावा कोई भी जैविक खाद साल में 2 से 3 बार विशेषकर गर्मियों में जरूर डालना चाहिए. सर्दियों में खाद ना भी डालें तो कोई परेशानी नहीं होगी.
सिंचाई – एरेका पाम को नमी पसंद है लेकिन जरूरत से ज्यादा पानी देना नुकसान दे सकता है जब एरेका पाम के गमले की मिट्टी छूने में सूखी लगे तब ही पानी दें, अगर एरेका पाम का गमला घर के अंदर रखा है तो हर 2 से 3 दिन पानी दें और अगर बाहर रखा है तो 1 से 2 दिन में गमले में पानी डालना चाहिए.