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Updated on: 28 December, 2019 12:00 AM IST

सेब के उत्पादन के लिए मशहूर कुल्लू घाटी सेब की बंपर पैदावार से गुलजार है. इस बार दशकों बाद ऐसी बंपर पैदावार देखने को मिल रही है. लेकिन फिर भी किसानों के चेहरों पर खुशी नहीं है. कारण ये है कि बंपर पैदावार होने के बाद भी बागवानों को उचित दाम नहीं मिल रहा है. यहां के किसान अच्छी पैदावार होने के बाद भी घाटा सह रहे हैं. प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस बार अधिक पैदावार होने के बाद भी बाहरी मंडियों की अपेक्षा किसान स्थानीय मंडियों को तरजीह दे रहे हैं.

बाहरी मंडियों ने फेरा किसानों की उम्मीदों पर पानी:

स्थानीय किस्सनों के मुताबिक कई सालों बाद सेब का उत्पादन करीब एक करोड़ पेटी तक हुआ है. लेकिन दिल्ली सेमत अन्य मंडियों में सेब दाम गिर चुके हैं. जिस कारण मेहनत का फल नहीं मिल रहा है.

किसानों ने बताया कि पिछले एक दशक से खराब मौसम और असमय बर्फबारी के कारण सेब की खेती प्रभावित होती रही. इस साल मौसम अनुकूल रहा जिस कारण जिला कुल्लू में सेब की बंपर पैदावार हुई. साल 2018 के मुकाबले 35 लाख की जगह इस बार 75 लाख पेटी सेब का उत्पादन हुआ है.

गौरतलब है कि बंपर पैदावार के कारण स्थानीय क्षेत्रों में भी सेब ओने-पोने दाम पर बिक रहे हैं. ग्रामीण इलाकों में तो हालात इतने खराब हैं कि बागवानों को खरीदार तक मिलने मुश्किल हो गये हैं.

किसानों ने लगाई सरकार से गुहारः

स्थानीय किसानों ने कहा कि हमने मेहनत करके सेब की बंपर पैदावार की. लेकिन सरकारी नीतियों के कारण दिल्ली समेत देश की मंडियों में सेब के रेट गिरे हुए हैं, जिससे हमारा भारी नुकसान हो रहा है. स्थानीय मंडियों में भी सेब को बेचना घाटे का सौदा ही है. इस तरफ सरकार को ध्यान देना चाहिए.

English Summary: after huge production of apples farmers of Himachal Pradesh are not happy due to decaying of apples rate
Published on: 28 December 2019, 05:24 IST

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