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Updated on: 15 January, 2019 12:00 AM IST

यदि हम अपने अतीत पर नज़र डालेंगे, तो पाएंगे कि आज हम जो कुछ भी हैं वो अतीत में हमारे द्वारा किए गए प्रयासों का ही नतीजा है. जी हां, सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता. यह एक दिन के प्रयासों से नहीं मिलती, मगर ठान लो तो एक दिन जरूर मिलती है. कुछ ऐसी ही दास्तान है उत्तराखंड के सीमांत जिले चमोली के 'जोशीमठ' क्षेत्र के 12 गांवों की 54 महिलाओं की, जिन्होंने गुलाब की खेती करके आर्थिक सशक्तीकरण की ऐसी इबारत लिखी है, जो आज मिसाल बन गई है. इस मुहिम में देहरादून स्थित 'सगंध पौधा केंद्र' (कैप) ने उनकी मदद की. वर्तमान में उन्हें इस क्षेत्र में गुलाब जल, तेल व प्लांटिंग मटीरियल से 10 से 12 लाख की सालाना आमदनी हो रही है.

इस पहल को लेकर इस क्षेत्र की महिलाएं कितनी उत्साहित हैं, यह 'परसारी' की कमला देवी के शब्दों से बयां होती है. वह कहती हैं- 'गुलाब की खेती ने हमारे जीवन में गुलाब की महक घोल दी है. इससे हमें भारी मुनाफा हो रहा है और इसकी वजह से हमारी आर्थिक स्थिति अच्छी हो गई है. हमारे लिए यह गौरव की बात है कि स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोशीमठ की महिला किसानों द्वारा तैयार गुलाब तेल की सराहना की है.'

गौरतलब है कि विषम भूगोल वाले उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में लोगों के पलायन, मौसम, वन्यजीव समेत अन्य विभिन्न कारणों से खेती सिमटी हुई है. ऐसे में दूरस्थ क्षेत्रों के लोगों के लिए खेती फायदे का सौदा बनी रहे, इसे लेकर मंथन हुआ. इसके लिए सगंध खेती को विकल्प चुना गया और चमोली के जोशीमठ क्षेत्र में यह जिम्मा 'सगंध पौधा केंद्र', कैप को सौंपा गया. कैप ने क्षेत्र के भूगोल के हिसाब से डेमस्क गुलाब की नूरजहां, च्वाला व हिमरोज प्रजातियों का चयन किया और 2005 में मेंड़ों पर बाउंड्री फसल के रूप में खेती शुरू करने की पहल की. इसके लिए क्षेत्र की महिलाओं को प्रोत्साहित किया गया.

बता दें कि सबसे पहले उत्तराखंड के सीमांत चमोली जिले के जोशीमठ के ग्राम प्रेमनगर- परसारी व मेरंग में बाउंड्री फसल के रूप में गुलाब के पौधों का रोपण किया गया. दो साल बाद पौधों पर फूल आने लगे और फिर महिला किसानों ने इससे गुलाब जल तैयार करना शुरू कर दिया. इस पहल से धीरे-धीरे अन्य गांवों की महिलाएं भी जुड़ती चली गईं. आज डेमस्क रोज के लिए जोशीमठ एक क्लस्टर के तौर पर विकसित हुआ है और वहां के परसारी, गणेशपुर, मेरंग, रैंणी, सलधार, औली, सुनील, बड़ागांव, करछी, तपोवन, द्वींग समेत 12 गांवों के 90 लोग गुलाब की खेती से जुड़े हैं, जिनमें 54 महिलाएं हैं.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 21 जून, 2018  को योग दिवस पर देहरादून पहुंचे पीएम मोदी को इन महिला कृषकों द्वारा उत्पादित गुलाब तेल, उपहार स्वरूप भेंट किया गया था. तब पीएम मोदी ने इस क्षेत्र की महिलाओं के प्रयास की सराहना करते हुए इसे नजीर बताया था.

English Summary: Advanced Rose cultivation changed the fate of women farmers
Published on: 15 January 2019, 04:20 IST

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