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Updated on: 30 January, 2019 12:00 AM IST

मध्यप्रदेश के कलियासोत नदी के किनारे पर वाटर एंड लैंड मैनेंजमेंट संस्थान परिसर में लगभग 30 हेक्टेयर क्षेत्र लगभग बंजर पड़ा हुआ था, लेकिन अब यहां पर एक-एक मीटर पर गहरे तीन तालाब बन गए है. यहां तीन महीने के भीतर 42 से ज्यादा प्रजातियों के 850 से अधिक पौधे रोपे गए है. सबसे बड़ा फायदा यह हुआ है कि यहां पर अब हरियाली छाने लगी है. साल भीतर के अंदर यह सघन वन का रूप ले लेगा. इस जगह पर इकोलॉजी सिस्टम को डेवलप किया गया है. अभी तक इस ढालू जमीन पर आने वाला बरसात का पानी मिट्टी को काटते हुए बहकर निकल जाता था. यहां बने तालाबों का पहला फायदा तो यही हुआ कि कैंपस में विपरीत दिशा के दोनों बोर चार्ज हो गए और मिट्टी का कटाव भी रुक गया है. एक वर्ग मीटर में यहां तीन पौधे लगाए गए हैं, आमतौर पर फॉरेस्ट में दो वर्ग मीटर में एक पौधा होता है. इन दोनों तालाबों के ऊपर मुर्गीपालन के लिए दड़बा बनाया जा रहा है. यहां की मुर्गियों का दाना तालाब में मछलियों के लिए भोजन का काम करेगा, यानि साथ में मछली पालन भी होगा.

बेहतर होगा पर्यावरण

बंजर जमीन को जंगल में बदलने के इस मॉडल से पूरे क्षेत्र के पर्यावरण में सुधार होगा. पिछले डेढ़ दशक में कलियासोत नदी के आसपास बड़े पैमाने पर कंस्ट्रक्शन होने से प्राकृतिक वातावरण को काफी नुकसान पहुंचता है. वाल्मी एक ऐसा मॉडल डेवलप कर रहा है जिससे बनने वाला इकोलॉजी सिस्टम पर्यावरण को सुधारेगा.

जापान-इजरायल मॉडल को अपनाया

इंस्टीट्यूट की डायरेक्टर उर्मिला शुक्ला बताती हैं कि यह जैविक मॉडल उन फैक्टरियों व सरकारी संस्थानों के लिए उपयोगी है, जहां काफी जमीन फालतू पड़ी है. उन्होंने बताया कि जापान के मियावाकी मॉडल में बंजर जमीन में वहां की स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार सघन फॉरेस्ट डेवलप किया जाता है, लेकिन उसमें वर्मी कम्पोस्ट, जीवामृत और घानामृत का उपयोग नहीं होता है. इसी तरह कम बारिश वाले इजरायल में बरसात के पानी को रोककर अधिक फसल ली जाती है. इन दोनों मॉडल को मिलाकर इस तकनीक को विकसित किया गया है. इस पर खेती से करीब 4.50 लाख रूपये की हर साल आय होगी.

English Summary: 42 different varieties of plants are being prepared here on the barren hill
Published on: 30 January 2019, 04:11 IST

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