Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 2 December, 2019 12:00 AM IST

भारत में भैसों की लगभग 23 से अधिक नस्लें पाई जाती हैं. लेकिन भदावरी की मांग आज भी सबसे अधिक है. कारण है इसके दूध में अत्याधिक वसा होना. वैज्ञानिकों के मुताबिक भदावरी भैंस के दूध में औसतन 8.0 प्रतिशत वसा पाई जाती है.  इन भैंसों के दूध में घी उत्पादन के विशेष गुण होता है. इस नस्ल की भैंसों का शारीरिक संरचना भी विशेष होती है. इनका आकार मध्यम होता है जबिक इनके शरीर पर हल्के बाल होते हैं. इसी तरह इनकी टांगें छोटी लेकिन मजबूत होती है. चलिये आपको भदावरी भैंस के बारे में बताते हैं.

300 से 400 किग्रा होता है वजन

इन नस्ल की भैंसों का वजन 300 से 400 किग्रा होता है. सींगों का आकार किसी तलवार की तरह आकार में होता है. वैसे इनके आहार पर बाकि भैंसों के मुकाबले कम पैसा खर्च होता है. क्योंकि अन्य भैंसों के मुकाबले इनका आहार सामान्य रूप से कम होता है.

कठिन परिस्थितियों के अनुरूप ढल जाती हैं ये भैंसे

इन भैंसों की एक खास बात ये भी है कि ये अपने आपको कठिन परिस्थितियों के अनुसार ढाल लेती है. इसे छोटे या भूमिहीन किसान भी पालने में समर्थ हैं. ये अति अति गर्म या आर्द्र जलवायु में भी रह सकती हैं. इतना ही नहीं अन्य भैंसों के मुकाबले इनका स्वास्थ स्तर भी बेहतर है. इनके बच्चों के मृत्यु दर अन्य भैसों की तुलना में कम है.

यहां मिलते हैं भदावारीः

आज के समय में भदावरी भैंसें आगरा, इटावा तथा जालौन जिलें के आसपास के क्षेत्रों में मिलती है. इस भैंस को लेकर सरकार कई तरह के शोध एवं सर्वधन परियोजनाएं चला रही है. भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान झांसी में भदावरी को लेकर विशेष शोध कार्य चल रहा है.

भदावरी के दूध में पाये जाने वाले पोषक तत्वः

भदावरी के दूध में वसा की मात्रा 8.20 फीसद होती है. जबकि प्रोटीन की मात्रा 4.11 फीसद एवं कैल्सियम की मात्रा 205.72 मिग्रा./100 मिली होती है.

English Summary: bhadwari bhens buffalo is number one producer of ghee
Published on: 02 December 2019, 06:20 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now