सिर्फ 10 एकड़ में 180 प्रकार की विभिन्न फसलें उगाकर अच्छी मोटी कमाई कर रहे अजय जाधव, पढ़ें इनकी संघर्ष की कहानी Small Business Ideas: कम लागत में शुरू करें ये बिजनेस, हर महीने होगी मोटी कमाई! बिहार को ‘मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता योजना’ के तहत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए मिला ‘प्रशस्ति पत्र’ एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Top Agriculture Business Ideas: कृषि क्षेत्र के कम निवेश वाले टॉप 5 बिजनेस, मिलेगा बंपर मुनाफा! Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! सबसे अधिक दूध देने वाली गाय की नस्ल, जानें पहचान और खासियत
Updated on: 25 January, 2023 12:00 AM IST
कृत्रिम गर्भधारण के लाभ

पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान एक ऐसा तरीका है, जिसमें एक स्वस्थ नर पशु के वीर्य को कृत्रिम तरीके से गाय के गर्भ में स्थापित किया जाता है. वीर्य को विभिन्न क्रियाओं के माध्यम से संचित किया जाता है और इसे तरल नाइट्रोजन में कई वर्षों तक सुरक्षित रखा जा सकता है. इस संचित किए हुए वीर्य को मादा के गर्भाशय में रखकर उसका गर्भाधान किया जाता है. गर्भाधान की इस क्रिया को कृत्रिम गर्भाधान कहा जाता है.

कृत्रिम गर्भाधान के लाभ

प्राकृतिक गर्भाधान की तुलना में कृत्रिम गर्भाधान के अनेक लाभ होते हैं. कृत्रिम गर्भाधान बहुत दूर यहां तक कि दूसरे देशों में रखे श्रेष्ठ नस्ल वाले नर पशु के वीर्य को उपयोग में लाया जा सकता है.

इस विधि में उत्तम गुणों वाले बूढ़े या असहाय सांड के साथ-साथ श्रेष्ठ व अच्छे गुणों वाले सांड को भी अधिक से अधिक उपयोग में लाया जा सकता है.

प्राकृतिक विधि में एक सांड द्वारा एक वर्ष में 60 से 70 गाय या भैंसों को गर्भित किया जा सकता है, जबकि कृत्रिम गर्भाधान विधि द्वारा एक सांड के वीर्य से एक वर्ष में हजारों गायों और भैंसों को गर्भित किया जा सकता है.

इस विधि से अच्छे सांड के वीर्य को उसकी मृत्यु के बाद भी प्रयोग किया जा सकता है और यह विधि धन एवं श्रम की बचत भी करती है.

यह विधि पशुओं के प्रजनन सम्बंधित रिकॉर्ड को संयोजित करने में मदद करती है और इस विधि से नर से मादा तथा मादा से नर में फैलने वाले संक्रामक रोगों से भी बचा जा सकता है.

कृत्रिम गर्भाधान की विधि की सीमायें

कृत्रिम गर्भाधान के लिए प्रशिक्षित पशु चिकित्सक की आवश्यकता होती है, जिसे मादा पशु के प्रजनन अंगों की अच्छी जानकारी हो.

इस विधि के लिए विशेष उपकरणों की आवश्यकता होती है और इसमें साफ-सफाई का विशेष ध्यान ना रखने पर गर्भधारण में देरी हो सकती है.

कृत्रिम गर्भाधान के दौरान सावधानियां

मादा पशु ऋतु चक्र में हो तथा कृत्रिम गर्भाधान करने से पहले गन को अच्छी तरह से धो लें.

ये भी पढ़ेंः  पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान कैसे करें ?

वीर्य को गर्भाशय द्वार के अंदर ही छोडें. कृत्रिम गर्भाधान गन प्रवेश करते समय ध्यान रखें, कि यह गर्भाशय हॉर्न तक ना पहुंचे.

English Summary: Advantages artificial insemination and its limitation
Published on: 25 January 2023, 04:56 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now