यदि किसी काम को करने का जज्बा और साहस हो तो फिर आपको एक न दिन सफलता जरूर मिलती है. वैसे भी किसी मुकाम को हासिल करने का एक मात्र रास्ता मेहनत ही है. इसी मेहनत का परिचय देते हुए एक इंजीनियर ने अपनी प्राइवेट की सेक्टर की जॉब छोड़कर अपने पिता के साथ खेती करना चुना और आज वे इस मुकाम पर पहुंच गए कि जहां पहले वे खुद नौकरी करते थे वहीं आज 70 लोगों को रोजगार मुहैया करा रहे हैं. तो आइए जानते हैं इस सफल फार्मर की सफलता की कहानी.
आधुनिक गन्ने की खेती
उत्तर प्रदेश की धनघटा तहसील के मलौली गांव निवासी अरविंद कुमार चतुर्वेदी पेशे से इंजीनियर थे लेकिन अपने पिता का हाथ बंटाने के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ खेती करना पसंद किया. खेती करने से पहले वे लखनऊ में एक कंपनी में इंजीनियर पद पर कार्यरत थे. उनके पिता भानुप्रताप श्रीवास्तव अपने क्षेत्र के प्रोग्रेसिव फार्मर है और आधुनिक केले की खेती करते हैं. अरविंद ने गांव आकर अपने पिता कि तकनीकी रूप से काफी मदद की. वे केला उत्पादन और उसे मंडी तक पहुंचाने में पिता का भरपूर सहयोग करते हैं.
70 लोगों को रोजगार
अरविन्द के पिता भानुप्रताप अपने क्षेत्र में केले की खेती के लिए काफी जाने जाते हैं. वहीं वे गन्ने की भी सफलतापूर्वक खेती कर रहे हैं. उनके खेत में गन्ने की लंबाई 12 से 15 फुट होती है. इसके लिए कृषि विभाग के वैज्ञानिकों से सलाह मशवरा करते हैं. आज वे 60 बीघा में केला और 50 बीघा में गन्ने की खेती कर रहे हैं. वहीं वे लगभग 70 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं.
मंडी नहीं होने से समस्या
हालांकि अरविंद कहना है कि क्षेत्र में केला मंडी नहीं है इसलिए क्षेत्र के किसानों को समस्या आ रही है. किसानों को बाहरी व्यापारियों को अपनी फसल बेचना पड़ रही है. अपनी फसल को बाहरी व्यापारियों को बेचने के कारण उन्हें इंतजार करना पड़ता है और कई बार फसल ख़राब होने का अंदेशा रहता है.