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Updated on: 22 October, 2019 2:07 PM IST
Wheat

इस तकनीकी द्वारा गेहूं की बुवाई के लिए खेत पारम्परिक तरीके से तैयार किया जाता है और फिर मेड़ बनाकर गेहूं की बुवाई की जाती है. इस पद्धति में एक विशेष प्रकार की मशीन (बेड प्लान्टर) का प्रयोग नाली बनाने एवं बुवाई  के लिए किया जाता है. मेंडों के बीच की नालियों से सिचाईं की जाती है तथा बरसात में जल निकासी का काम भी इन्ही नालियों से होता है एक मेड़ पर 2 या 3 कतारो में गेंहूँ की बुवाई  होती है. इस विधि से गेहूं  की बुवाई  कर किसान बीज खाद एवं पानी की बचत करते हुये अच्छी पैदावार ले सकते है. इस विधि में हम गेहूं  की फसल को गन्ने की फसल के साथ अन्तः फसल के रूप में ले सकते है इस विधि से बुवाई के लिए मिट्टी का भुरभुरा होना आवश्यक है तथा अच्छे जमाव के लिए पर्याप्त नमी होनी चाहिये. इस तकनीक की विशेषतायें एवं लाभ इस प्रकार है.

इस पद्धति में लगभग 25 प्रतिशत बीज की बचत की जा सकती है. अर्थात 30-32 किलोग्राम बीज एक एकड़ के लिए प्रर्याप्त है.

यह मशीन 70 सेन्टीमीटर की मेड़ बनाती है जिस पर 2 या 3 पंक्तियों में बुवाई की जाती है. अच्छे अंकुरण के लिए बीज की गहराई 4 से 5 सेन्टीमीटर होनी चाहिये.

मेड़ उत्तरदक्षिण दिशा में होनी चाहिये ताकि हर एक पौधे को सूर्य का प्रकाश बराबर मिल सके .

इस मशीन की कीमत लगभग 70,000 रूपये है.

इस पद्धति से बोये गये गेहूं में 25 से 40 प्रतिशत पानी की बचत होती है. यदि खेत में पर्याप्त नमी नहीं हो तो पहली सिंचाई बुवाई के 5 दिन के अन्दर कर देनी चाहिये.

इस पद्धति में लगभग 25 प्रतिशत नत्रजन भी बचती है अतः 120 किलोग्राम नत्रजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस तथा 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हैक्टेयर पर्याप्त होता है.

मेड़ पर बुवाई द्वारा फसल विविधिकरण

गेहूं के तुरन्त बाद पुरानी मेंड़ो को पुनः प्रयोग करके खरीफ फसल में मूंग, मक्का, सोयाबीन, अरहर, कपास आदि की फसलें उगाई जा सकती है. इस विधि से दलहन एवं तिलहन की 15 से 20 प्रतिशत अधिक पैदावार मिलती है.

English Summary: Wheat cultivation Method and benefits of sowing a bed planter
Published on: 22 October 2019, 02:10 PM IST

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