फसल के अच्छे उत्पादन में मिट्टी की भूमिका बहुत अहम होती है, क्योंकि मिट्टी में पाए जाने वाले जीवाणु एवं पोषक तत्व पौधों को सही मात्रा में नाइट्रोजन प्रदान करता है, जो पौधों के विकास के लिए कार्य करता है, इसलिए जब भी आप अपने खेत में किसी भी फसल की खेती करते हैं, तो आप खेत की मिट्टी की जाँच जरुर करवाएं. मिट्टी की समय – समय पर जाँच करवाने से फसल उत्पादन में वृद्धि होगी, साथ ही आपको ज्यादा मुनाफा होगा.
मिटटी की जाँच के लिए सैम्पल तैयार करने की प्रकिया (Process of Preparing Samples for Soil Testing)
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सबसे पहले मिट्टी की जाँच के लिए लिया गया सैपल तब लेना चाहिए, जब फसल की बुवाई आप एक महीने बाद करने वाले हों.
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जिस खेत की मिट्टी की जाँच करने जा रहे हैं, उस खेत की सतह पर किसी भी प्रकार की घास – फूस आदि नहीं होनी चाहिए.
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मिट्टी का सैम्पल लेने के लिए खुरपी की सहायता से करीब 15 सेमी गहरा गड्ढा खोदें
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इसके बाद एक ऊंगली की मोटाई तक का ऊपर से नीचे तक का सैम्पल काट लें.
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इसके बाद जिस जगह की जाँच करनी है, उन जगहों के सैपल्स तैयार कर लें.
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इसके बाद अब सभी मिट्टी के सैम्पल्स का मिश्रण तैयार कर लें.
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तैयार करने बाद इनको 4 भागों में बाट लें.
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इन चार भागों में से 2 भाग हटा दें, बाकी बचे हुए भाग को फिर से मिलाकर 4 भाग कर लें व 2 भाग फेंक दें.
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इस तरह की प्रक्रिया तब तक दोहराएँ जब तक आपके पास 500 ग्राम मिट्टी न रह जाये.
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अब इस सैम्पल को साफ़ थैली में डाल दें.
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इस तरह आपका सैपल्स तैयार हो जायेगा.
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मिटटी की जाँच हेतु कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होगा (Some Things Have to be Taken Care of for Soil Testing)
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सबसे पहले जिस खेत की मिटटी की जाँच करनी हो, उस खेत की सतह ऊंची नीची नहीं होनी चाहिए.
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इसके अलावा मेढ़, पानी की नाली व कम्पोस्ट के ढेर के नजदीक की जगहों का सैम्पल नहीं लेना चाहिए.
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खेत में जिस जगह में पेड़ की जड़ हो, उस जगह के पास से सैम्पल न लें.
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मिट्टी का सैम्पल हमेशा साफ़ थैली में रखें. किसी खाद की थैली का इस्तेमाल न करें.
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इसके अलावा खड़ी फसल से भी सैम्पल ना लें.