आज हम आपको अपने इस लेख में एक ऐसी फसल की खेती की जानकरी देने वाले हैं, जो आपकी आमदनी को दोगुना कर देगी. हम अखरोट की खेती (Walnut Farming) की बात कर रहे हैं. अखरोट एक ऐसा मेवा है, जिसका उपयोग कई तरह के मिठाइयां बनाने में किया जाता है. इसका उपयोग आयुर्वेद के रूप में भी होता है
बता दें कि अखरोट का सेवन शरीर को कई रोग से बचाता है. अखरोट के अनगिनत गुणों के चलते एवं इसकी मांग बढ़ रही है, इसलिए किसानों का इसकी खेती की तरफ रुझान भी बढ़ रहा है. अगर खेती की बात करें, तो भारत के पर्वतियों इलाकों में इसकी खेती मुख्य रूप से की जाती है. इसमें हिमाचल, उत्तराखंड, कश्मीर एवं अरुणाचल प्रदेश शामिल है. इसके अलावा अखरोट की खेती विश्व स्तर पर इटली, जर्मन, स्पेन, फ्रामंस आदि में होती है. अखरोट में कई पोषक तत्त्व (Nutrients in Walnuts) पाए जाते हैं, जो सेहत के लिए काफी लाभदायक हैं, इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्त्व फाईबर, कैलोरी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट आदि शामिल हैं. तो आइये जानते हैं अखरोट की खेती किस प्रकार करनी चाहिए
अखरोट की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु एवं तापमान (Suitable Climate And Temperature For Walnut Cultivation)
अखरोट की खेती के लिए अत्यधिक सर्दी और गर्मी का तापमान अच्छा माना जाता है. अखरोट की खेती के लिए लगभग 80 सेमी की वार्षिक वर्षा पर्याप्त मानी जाती है, जो विशेष रूप से युवा पौधों के लिए सिंचाई के साथ सूखे क्षेत्रों को पूरक कर सकती है. अखरोट की खेती के लिए 10 डिग्री से कम तापमान उचित माना जाता है
अखरोट की खेती के लिए उपयुक्त मिटटी (Suitable Soil For Walnut Cultivation)
अखरोट की खेती अच्छी जल निकासी वाली एवं गहरी सिल्ट दोमट मिट्टी में करना चहिए, जिसमें कार्बनिक पदार्थों की प्रचुरता हो. इसकी खेती के लिए न्यूट्रल रेंज यानी 6 से 7 पीएच की आवश्यकता होती है
अखरोट की खेती में रोपण क्रिया (Planting Action in Walnut Cultivation)
अखरोट की खेती में रोपण का काम सितंबर माह के दौरान किया जाता है. जिसमें 1.25 X 1.25 x 1.25 मीटर आकार के गड्ढे 10 x 10 मीटर की दूरी पर खोदे जाने चाहिए. इसके बाद गड्ढों को 50 किलो अच्छी तरह सड़ी हुई एफवाईएम (FYM), 150 ग्राम यूरिया, 500 ग्राम सुपरफॉस्फेट और एमओपी के साथ मिश्रित बगीचे की मिट्टी से भरा जाना चाहिए. बता दें दिसंबर-जनवरी में अखरोट की रोपाई की जाती है. पौधे को मिट्टी में जमीन की सतह से कम से कम 15 सेमी ऊपर होना चाहिए.
अखरोट की खेती में सिंचाई क्रिया (Planting And Irrigation In Walnut Cultivation)
रोपण के तुरंत बाद पानी देना चाहिए. जब पेड़ फलने लगें, तो फलों के गिरने के समय से लेकर परिपक्व होने तक सिंचाई करनी चाहिए, ताकि फलों का गिरना कम हो सके. इसके साथ ही मेवों को अच्छी तरह भरा जा सके.
अखरोट की खेती के लिए उपयुक्त खाद और उर्वरक (Suitable Manures And Fertilizers For Walnut Cultivation)
अखरोट की खेती के लिए खाद और उर्वरक की बात करें, तो पहले पांच वर्षों में प्रति पेड़ पी और के (P and K) की थोड़ी मात्रा (लगभग 100 ग्राम) रखें. पांचवें वर्ष से पूर्ण होने के बाद इसके उत्पादन तक, मिट्टी की उर्वरता और पौधे की शक्ति के आधार पर 40-80 किग्रा / हेक्टेयर पी (phosphorous) और 60-100 किग्रा / हेक्टेयर K (potassium) का प्रयोग करें. इस तरह आप अखरोट की खेती कर अच्छी पैदावार हासिल कर सकते हैं.