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Updated on: 5 February, 2021 12:38 PM IST
Azadirectin

नीम खेती के लिए एक लाभकारी एवं बहुत उपयोगी पेड़ है क्योंकि इसके हर भाग में कीटनाशक का गुण विद्यमान है. इसके पत्तियों और बीज में अधिक मात्रा में कीटनाशक गुण पाया जाता है. इसके बीज जिसे निंबोली कहते हैं, में एजाडेरेक्टिन (Azadirectin) नामक कीटनाशक पदार्थ पाया जाता है. जो कीटों से नियंत्रण करने का काम करता है. आज के दौर में फल तथा सब्जियों से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए रासायनिक कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग किया जा रहा है. इसके कारण लागत में भी भारी इजाफा हो रहा है.

इसके साथ ही कीटनाशक रसायनों के प्रयोग से कई प्रकार की जैविक समस्याएं उत्पन्न हो रही है तथा वातावरण को प्रदूषित करने में इन रसायनों का सबसे बड़ा योगदान है. जब इन रसायनों का प्रयोग फल, सब्जियों तथा अनाजों वाली फसलों पर किया जाता है तो इन कीटनाशक रसायनों के अवशेष भोजन प्रणाली में प्रवेश कर जाते हैं, जो मानव शरीर में हानिकारक दुष्प्रभाव छोड़ते हैं. यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करते हैं. कुछ रसायन कई प्रकार के हानिकारक रोगों जैसे दाद (Asthma), खाज, खुजली, दमा, एलर्जी, बाल झड़ना तथा गुर्दे की बीमारी इत्यादि को पैदा करते हैं.

नीम के प्रयोग से फसलों पर असर (Effect of crops using neem)

कीटनाशक रसायनों से लगातार प्रयोग से हानिकारक कीटों में इनके प्रति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती जा रही है और कीट मरते भी नहीं है. इसके विपरीत प्रकृति में पाए जाने वाले लाभकारी भी इन रसायनों का शिकार हो जाते हैं जिससे प्रतिकूल असर पड़ रहा है. इसलिए वर्तमान समय को देखते हुए इस बात की जरूरत है कि शुद्ध फल सब्जियां उत्पन्न करने के लिए कीट नियंत्रण प्रभावी व कम खर्चीला हो. नीम आधारित नीम के पत्तों और निंबोली से तैयार घोल से कीट नियंत्रण किया जा सकता है. यह तकनीक एकदम आसान और कम खर्चीली है. जिसमें सिर्फ अपनी मेहनत व समय पर छिड़काव करना पड़ता है.

नीम की पत्तियों या निंबोली का घोल (Neem leaves or Nimboli solution)

घोल तैयार करने के लिए एक किलो पत्तियां या निंबोली को बारीक पीस कर चटनी बना लेते है. इसके बाद इसे कपड़े की पोटली में बांधकर पानी में डुबोकर रात भर रख देना चाहिए. अगले दिन सुबह पोटली से रस निचोड़ ले और बचे भाग को कम्पोस्ट बनाने के लिए प्रयोग में ले सकते हैं. इस रस को 10 लीटर पानी में मिला दें और साबुन या सर्फ का हल्का पानी मिला दें, जिससे यह का घोल छिड़काव के लिए तैयार हो जाएगा और साबुन के पानी की वजह से फसलों की पत्तियों पर अधिक समय तक टीका रहता है.

इस घोल का समय-समय पर छिड़काव करें ताकी रस चूसक कीटों और छेदक कीट (Fruit borer) से बचाव किया जा सके. इसका छिड़काव फूल आने से पहले किया जाता है और हर 10 से 15 दिन बाद दोहराया जाना चाहिए. मिट्टी में पाए जाने वाले हानिकारक कीटों जैसे दीमक, सफेद लट या सूत्रकर्मी (Nematodes) के लिए मिट्टी उपचार के रूप में प्रयोग करें. इसके प्रयोग से फसल पर कीटों का प्रकोप होने से पहले रोक सकते हैं.

English Summary: Use Neem leaves or seeds as a pesticide on crops
Published on: 05 February 2021, 12:42 PM IST

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