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Updated on: 30 July, 2020 3:25 PM IST

पशुओं की हरा चारे की दिक्कत को दूर करने के लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में विकसित दो नई किस्में उगाई जाएंगी. दरअसल सीजी चारा बरबट्टी-1 और सीजी मक्का चरी-1 अधिक प्रोटीन एवं ज्यादा उत्पादन देने वाली और कई गुणों से भरपूर किस्में हैं. छत्तीसगढ़ में हरा चारा उत्पादन के बरबट्टी की पहली किस्म सीजी चारा बरबट्टी-1 है, जो कि 234.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती है. यह राष्ट्रीय चेक बीएल-1 किस्म की तुलना में 49.44 प्रतिशत अधिक उत्पादन देती है

प्रति हेक्टेयर औसतन 345.2 क्विंटल तक उत्पादन

सीजी मक्का चरी-1 भी हरा चारा के लिए छत्तीसगढ़ में विकसित मक्के की पहली किस्म है. यह प्रति हेक्टेयर औसतन 345.2 क्विंटल तक उत्पादन देती है. यह किस्म राष्ट्रीय चेक जे-1006 की तुलना में अधिक उत्पादन देती है. इन दोनों किस्मों को विकसित करने में डॉ. मयूरी साहू, डॉ. संतोष सिन्हा का सक्रिय योगदान रहा. ये दोनों किस्में निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ राज्य की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा एवं बाड़ी के लिए सार्थक सिद्ध होंगी.      

50-60 दिनों में हो जाती है तैयार

राष्ट्रीय किस्म बुंदेल लोभिया-1 से 49 प्रतिशत एवं यूपीसी-9202 से 12 प्रतिशत अधिक उत्पादन सीजी चारा बरबट्टी-1 देती है. इसे अकेले या अन्य फसलों के साथ भी लगा सकते हैं. यह तकरीबन 50-60 दिनों में तैयार हो जाती है. इसी तरह से राष्ट्रीय स्तर की किस्म जे 1006 एवं आफ्रीकन टॉल से अधिक उपज सीजी मक्का चरी-1 देती है. यह किस्म पशुओं के सेहत के लिए काफी लाभकारी होती है.

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English Summary: Two new varieties of green fodder developed, yielding an average of 345.2 quintals per hectare
Published on: 30 July 2020, 03:28 PM IST

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