सेब की खेती (Apple Cultivation) अब सिर्फ ठंड क्षेत्रों की ही फसल नहीं बल्कि अन्य जगहों की भी प्रमुखता बन रही है. कृषि में वैज्ञानिकों व नई तकनीकों के माध्यम से खेती में हर संभव प्रयास को अंजाम दिया जा सकता है. सेब की पेड़ों को अब जगह-जगह की जलवायु के साथ लगाया जा सकता है. भारत में सेब के पेड़ न केवल कश्मीर व हिमाचल जैसे स्थानों में बल्कि अब दिल्ली (Delhi), चंडीगढ़ (Chandigarh), कर्नाटक (Karnataka), केरल (Kerala) और बिहार (Bihar) जैसे उष्णकटिबंधीय भागों (Tropical Areas) में भी बढ़ रहे हैं.
सेब की खेती (Apple Farming)
सेब अच्छी तरह से सुखी, दोमट मिट्टी (dry, loamy soil) पर 45 सेमी की गहराई के साथ 5-6 पीएच रेंज पर सबसे अच्छा बढ़ता है. Seb ki kheti के लिए मिट्टी कठोर सब्सट्रेट और जल-जमाव की स्थिति से मुक्त होनी चाहिए.
किसानों ने अपनी तकनीक को इतना सिद्ध कर लिया है कि अब उन्हें साल में एक ही पेड़ से दो फसलें मिल जाती हैं. सेब की खेती अब न केवल पूरे हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में बल्कि पंजाब (Punjab ) और हरियाणा (Haryana) के कुछ हिस्सों में भी सफलतापूर्वक की जा सकती है. इन क्षेत्रों के सेब एक महीने पहले जून में पकने लगते हैं, इसलिए वे अच्छी कीमत पर बेचते हैं.
सेब की खेती उष्णकटिबंधीय जलवायु (Tropical Climate) में भी की जा सकती है जहां 'कोई सर्दी नहीं' होती है और न्यूनतम तापमान 12 डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं जाता है. ऐसे में हरिमन या एचआरएमएन 99 सेब की किस्म को पुरे भारत में उगाया जा सकता है.
सेब की किस्में (Apple Varieties)
हरिमन या एचआरएमएन 99 (Harriman or HRMN 99): यह हिमाचल प्रदेश की एक किस्म है. इसे बिलासपुर के एक किसान हरिमन शर्मा ने लगभग 10 साल पहले देखा था. शर्मा ने इस अंकुर से कुछ पौधों को गुणा किया और उसे अपने खेत में लगाया था. फिर ये न केवल उनके खेत में बल्कि हिमाचल में अन्य जगहों पर भी अच्छी तरह से फलते रहे. इसलिए, शर्मा ने व्यावसायिक स्तर पर इस किस्म के पौधों का गुणन और वितरण शुरू कर दिया था.
अब, पूरे भारत में एचआरएमएन 99 के लगभग 5 लाख पेड़ लगाए जा चुके हैं. भारत के अलावा इस सेब के पौधे नेपाल, जर्मनी और दक्षिण अफ्रीका में भी पहुंच चुके हैं. एचआरएमएन 99 के फल हरे या हरे पीले रंग के होते हैं. बता दें कि ये जून के मध्य में पकते हैं.
अन्ना (Anna): इसे 1950 के दशक में अब्बा स्टीन द्वारा इज़राइल में ऐन शेमेर किबुत्ज़ में प्रतिबंधित किया गया था. अन्ना को केवल 300 घंटे की चिलिंग की आवश्यकता होती है और इसलिए इसे पूरे हिमाचल प्रदेश में उगाया जा सकता है. अन्ना फल गोल्डन डिलीशियस किस्म की तरह होते हैं.
डोरसेट गोल्डन (Dorset Golden): इस सेब को आइरीन डोरसेट ने बहामास में अपने सुनहरे स्वादिष्ट पेड़ों के बीच देखा था. इसलिए उन्होंने इसका नाम डोरसेट गोल्डन रखा गया.
इसे केवल 150 द्रुतशीतन घंटों की आवश्यकता होती है और इस प्रकार यह लगभग हर जगह बढ़ सकता है. डोरसेट गोल्डन भी गोल्डन डिलीशियस की तरह दिखता है और पूरी दुनिया में बहुत लोकप्रिय हो रहा है.