सबसे लोकप्रिय सब्जी आलू को सब्जियों का राजा कहा जाता है. कहा भी क्यों ना जाए, भारत का शायद ही कोई राज्य ऐसा होगा, जहां इसकी खेती न की जाती हो. देश की शायद ही कोई रसोई ऐसी होगी जहां आलू के पकवान ना बनते हों. मंगल उत्सवों की कल्पना बिना आलू के नहीं की जा सकती है.
दुनिया में आलू की खेती लगभग 7000 साल पहले से की जाती रही है, लेकिन फिर भी किसान इसको लेकर अक्सर परेशान ही रहते हैं. कारण कीटों का आतंक है. आलू पर कीटों का प्रभाव बहुत अधिक होता है. हालांकि बहुत सरल तरीको से आप कीटों से अपने फसल की रक्षा कर सकते हैं. चलिए आपको बताते हैं कि आलू को मुख्य रूप से किन कीटों से खतरा है.
चैपा (Chepa)
चैपा गहरे हरे या काले रंग के होते हैं. पत्तियों और शाखाओं का रस चूसते हुए चैपा पत्तियों को सूखा देते हैं. पत्तियों पर पीलापन आ जाता है और आलू की फसल खराब होने लग जाती है.
उपचार (Treatment)
देसी गाय के मट्ठे में नीम की पत्ती या 2 किलोग्राम नीम की खली को एक बड़े मटके में 40-50 दिन भरकर सड़ने दें. अब इसको पानी में डालकर अच्छी तरह छिड़काव करें.
कुतरा (Kutra)
इस कीट की सुंडिया आलू के पौधों और शाखाओं को काटते हुए कंदों को प्रभावित करती हैं. इन्हें फैलने से ना रोका जाए तो सुंडियां आलुओं में छेद करते हुए उन्हें खराब करने लग जाती हैं. इन कीटों से रात में फसल को अधिक क्षति होती है.
उपचार (Treatment)
इसके रोकथाम के लिए नीम की पत्तियों को पीसकर उबाल लें. इस मिश्रिण वाले पानी का उपयोग छिड़काव के लिए किया जा सकता है.
व्हाईटगर्ब (Whitegerb)
इस कीट को कुरमुला की संज्ञा दी जाती है, जो देखने में सफ़ेद या स्लेटी रंग का होता है. इसका शरीर मुड़ा हुआ और सर भूरे रंग का होता है. यह जमीन के अन्दर रहकर पौधों की जड़ो को क्षति पहुंचाता है.
उपचार (Treatment)
10 लीटर देसी गाय के गोमूत्र में 2 किलो अकौआ के पत्ते मिलाएं. इसे 10-15 दिन तक सड़ने दें. इसके बाद इस मूत्र को आधा शेष बचने तक उबालें और इस मिश्रण का छिड़काव करें.