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Updated on: 17 December, 2019 11:14 AM IST
इस विधि से करें नर्सरी तैयारी और बीजारोपण, होगा अच्छा मुनाफा

किसान भाई जलवायु और अपने क्षेत्र के अनुसार खेती करते है. किसानों की फसल का उत्पादन अच्छा हो. इसके लिए वह जीतोड़ मेहनत भी करते है, लेकिन फसल की अच्छी पैदावार इस बात पर निर्भर करती है कि उस फसल के पौधों की गुणवता कैसी है. कभी– कभी ऐसा होता है कि फसल का बीज अच्छा होता है, लेकिन बीज का अंकुरण बहुत ही कम होता है. कभी-कभी यह देखा जाता है कि पौधों का अंकुरण अच्छा हुआ है, लेकिन पौधों की वृद्धि रुक जाती है, क्योंकि कुछ दिनों में पौधों को बीमारी लग जाती है.

इन सभी समस्यों का समाधान हो सकता है. अगर पौधों की नर्सरी पर ज्यादा ध्यान दिया जाए. इसके लिए किसान भाई को उपयुक्त मिट्टी, तापमान, बीज उपचार, पौधों के लिए उपयुक्त खाद व उर्वरक,  सिंचाई आदि पर ध्यान देना चाहिए. बता दें कि पौधशाला एक ऐसा स्थान है. जहाँ नवजात पौधों को विकसित किया जाता है. उनकी सारी देखभाल भी इसी जगह की जाती है. आज कृषि जागरण किसान भाईयों के लिए इसी से जुड़ी पूरी जानकारी लेकर आया है. जिसको सभी किसान भाई अपनाकर फसल की पैदावार को बढ़ा और अच्छी कर सकते हैं. अगर आप सब्जियों की खेती कर रहे है, तो इस लेख को जरुर पढ़िए.

नर्सरी बेड का आकार (Nursery bed size)

सबसे पहले हम बात करते है, नर्सरी बेड के आकार की, अगर आप एक एकड़ में खेती कर रहे है, तो इसके लिए लगभग 33 फुट लंबा, 2 फुट चौड़ा और 2 फुट ऊँची माप की लगभग 10-15 क्यारियां बिचड़ा डालने के लिए पर्याप्त हैं. इसके बाद ईंट, पत्थर या फिर अन्य संसाधनों से उपरोक्त माप की क्यारियां बना लेते हैं. इनको सीमेंट या फिर मिट्टी के गारा से अच्छी तरह जोड़ दें. ध्यान रहे कि जमीन की सतह से थोड़ा ऊपर अगल– बगल में छेद छोड़ दें, ताकि पानी इनसे बाहर निकल सकें. आपको बता दें कि क्यारी के ऊपर खंभे बने लें. जिससे तार की जाली रखकर सफेद प्लास्टिक रखा जा सके. इससे पौधों को तेज धूप और पाले से बचाया जा सकता है.

इसके अलावा लगभग 2 फुट ऊँची दिवार के ऊपर एक तार की जाली रख दें. अब काला प्लास्टिक लेकर बीजों की क्यारी को ढँक दें. सब्जियों की खेती करते वक्त बिचड़ा डालने के लिए स्थायी पौधशाला मिट्टी को बदल देना चाहिए. इस तरह नर्सरी बेड तैयार कर सकते है.

नर्सरी बेड के लिए मिश्रण तैयार करना (Preparation of mixture for nursery bed)

अब फसल की अच्चछई पैदावार के लिए लगभग नर्सरी बेड के लिए एक मिश्रण तैयार करना होगा. हम नीचे लगभग 100 वर्ग फुट पौधशाला के लिए मिश्रण बता रहे है. किसान भाई अपने खेत और फसल के मुताबिक इसको तैयार कर सकते हैं.

दोमट मिट्टी                     4 टोकरी

कम्पोस्ट खाद                    4 टोकरी

बालू (नदी का)                   4 टोकरी

बकरी खाद                      4 टोकरी

गोबर खाद                       4 टोकरी (एक टोकरी = 25 कि.)

लाल मिट्टी या खेत का मिट्टी     4 टोकरी

धान का भूसा                    4 टोकरी

राख                            3 टोकरी

ध्यान दें कि पहले इन सामग्रियों को अलग-अलग महीन कर तार की छलनी से छान लें. इसके बाद सीमेंट का गारा तैयार करें. इस तरह मिश्रण तैयार हो जाएगा. आपको केवल धान के भूसे को नहीं छानना है.

नर्सरी बेड को भरना (Nursery bed filling)

नर्सरी बेड को भरते वक्त सबसे नीचे लगभग 6 ईंच तक छोटा कंकड़, पत्थर, ईंट आदि का टुकड़ा भरते हैं. इसके ऊपर एक फुट नदी का साफ बालू भरते हैं. अब लगभग 1 किलो शुद्ध मिश्रण मिट्टी के साथ आधा किलो कॉपर समूह को किसी दवा के साथ मिलाकर छिड़क दें. आप दवा कोई भी ले सकते हैं जैसे जैसे-फाईटोलान, ब्लू कापर या कॉपर अक्सिक्लोराइड आदि. अब इस मिश्रण के ऊपर शुद्ध मिश्रण लगभग 4 ईंच छिड़ककर समतल कर लेते हैं. इसके बाद मिश्रण को फौव्वारा से नम बना लें.

नर्सरी बेड में बीज गिराना (Seed drop in nursery bed)

अब नर्सरी बेड में सुराख या फिर चिन्ह बनाकर एक-एक बीज को गिराते रहे. अगर बीज डालने में दिक्कत हो, तो किसी सीक से इसको अंदर डाल सकते है. इसको बाद मिश्रण का हल्का छिड़काव कर दें और बीजों को हाथ से हल्का दबाकर ढ़क दें. अब लगभग एक किलो शुद्ध बालू में लगभग 250 ग्राम फाइटोलान दवा मिलाकर बीज को ऊपर छिड़क दें. इसके बाद लगभग 100 ग्राम फ्यूराडान 3 जी डालकर फौव्वारा से सिंचाई कर देनी चाहिए. इससे दवाइयां घुलकर मिट्टी में चली जाती है औरस फसल को किसी तरह की बीमारी नहीं लगती है. ध्यान रहे कि नर्सरी बेड में कभी भी बीज को छिड़कर नहीं डालना चाहिए.

नर्सरी बेड में बीज गिराने के उपरांत देखभाल (Care after seed drop in nursery bed)

नर्सरी बेड में बीज डालने के बाद उसको काला प्लास्टिक से ढँक देना चाहिए. जिससे बेड में गर्मी बनी रहे. बता दें कि नर्सरी बेड में बीज डालते वक्त की नमी पर ही पौधा अंकुरित हो जाता है. ध्यान रहे कि शिमला मिर्च सात दिन बाद, टमाटर चार दिन के बाद अंकुरित होने के उपरांत ही काला प्लास्टिक हटा देते है. फसल में बीज अंकुरित होने के पश्चात् सुबह-शाम पौधों में फौव्वारा या हजारा से सिंचाई करते रहे. तो वहीं काला प्लास्टिक से करीब 2 से 3 फुट ऊपर ऊँचे खंभों पर तार की जाली लगा दे. जिससे  उसे सफेद प्लास्टिक से ढँक दें. इस तरह पौधों की सुरक्षा होती रहेगी.

आपको बता दें कि इस तरीके से पौधे लगभग 21 दिन बाद रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं, जोकि काफी स्वस्थ, रोग एवं कीड़ा मुक्त होते है. साथ ही इनमें फल भी ज्यादा आते है और इनसे उपज भी ज्यादा होती है. करीब 21 दिन बाद पौधों की रोपाई शुरू कर दें. रोपाई को करीब 30 दिन के अंदर खत्म कर देनी चाहिए. आप इस तरह इस एक अच्छी नर्सरी बेड तैयार कर सकते हैं.

अन्य जानकारी (Other information)

हमारे भोजन में सब्जियाँ और फल अनिवार्य माने जाते है. इनमें विटामिन, खनिजों का स्रोत समेत कई जरुरी तत्व होते है. यह सभी हमारे शरीर के लिए प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट भी प्रचुर मात्रा में देते है. हर व्यक्ति की सामान्य वृद्धि और विकास के लिए सब्जी और फल की आवश्यकता होती है. बता दें कि सन्तुलित आहार के लिए लगभग 65 ग्राम जमीन के अंदर वाली, 110 ग्राम पचियों वाली सब्जियाँ औऱ 65 ग्राम अन्य सब्जियाँ होनी चाहिए.

English Summary: This is how nursery preparation and seed planting will be more profitable
Published on: 17 December 2019, 11:22 AM IST

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